चंडीगढ़:आज हरियाणा दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने अद्भुत हरियाणा की एक झलक आपके सामने रखने की कोशिश की है. ये प्रदेश नदी-नालों, पर्वतों एवं भूखंडों के नाम तक में भारतीय संस्कृति के गहरे संबंध को प्रकट करता है. इस प्रदेश का वर्णन मनुस्मृति, महाभाष्य, बोयण वर्णसूत्र, वशिष्ठ धर्मसूत्र और विनय पिटिक और महाभारत के ग्रंथों में मिलता है.
यहां वीरों ने शत्रुओं का डटकर सामना किया है तथा देश रक्षा के लिए बड़े से बड़े बलिदान दिए हैं. वीर हेमू, वीर चूड़ामणि, बल्लभगढ़ नरेश नाहर सिंह, राव तुला राम, अमर सेनानी राव कृष्ण गोपाल आदि महान योद्धाओं का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है.
तो चलिए हरियाणा को हरियाणा की जुबानी जानते हैं-
मैं हरियाणा हूं... मैं हरि की भूमि हूं... मेरी चर्चा तमाम महाकाव्यों में होती है. मैं गीता की जन्मभूमि हूं. मैंने दुनिया को जीने की राह बताई है. मैंने पानीपत की लड़ाइयां देखी हैं. मैंने अंग्रेजों का राज देखा है. मैंने गांधी की चाल देखी है. मैंने गुलामी की जंजीरों को देखा है. मैंने भारत को आजाद होते हुए देखा है.. मैं हरियाणा हूं.
यूं तो काल-कालांतर से मैं यहीं हूं, लेकिन आजाद भारत में औपचारिक रूप से मेरा जन्म 1 नवंबर, साल 1966 में हुआ, जब मैं अपने बड़े भाई पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया. शुरुआत में 7 जिलों को जोड़ कर मैं एक राज्य बना था, लेकिन आज मैं धीरे-धीरे 22 जिलों का सुखी संपन्न राज्य हूं.