चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने यह बात धान की पराली जलाने की घटनाओं से निपटने संबंधी एक बैठक में कहा कि हरियाणा ने पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं को लगभग 40 फीसदी तक कम करने में सफलता हासिल की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक समय था जब हरियाणा में धान की पराली को पर्यावरणीय खतरे के रूप में देखा जाता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे किसानों की आय बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में बदलने का काम किया है. सरकार ने पराली के सदुपयोग व सही प्रबंधन के लिए सामान्य निर्धारित दर (कॉमन डिटरमाइंड रेट) की घोषणा की है. इसके अंतर्गत धान की खेती में इन-सीटू और एक्स-सीटू तकनीक और डायरेक्ट सीडेड राइस तकनीक के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ धान की पराली के लिए 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के कॉमन डिटरमाइंड रेट की घोषणा जैसे उपाय शामिल हैं.
'किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी सरकार का लक्ष्य': मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में शून्य कृषि अग्नि परिस्थिति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन एवं 20 फीसदी से कम नमी पर अतिरिक्त 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन रुपये की सीडीआर अधिसूचित की है. इसके अलावा, हरियाणा के किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान किया जा रहा है. इन-सीटू/एक्स-सीटू तकनीक के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये है. मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत 7000 प्रति एकड़ और धान की खेती में डीएसआर तकनीक के लिए प्रति एकड़ 4000 रुपये निर्धारित है. इसका उद्देश्य राज्य में टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हुए किसानों को उनकी आय अधिकतम करने में सहायता करना है.
धान की पराली को जैव ईंधन में बदलने पर जोर: संजीव कौशल ने धान की पराली को जैव ईंधन में बदलने के लिए उठाए गए कदमों पर जोर दिया. बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे हरियाणा में औद्योगिक इकाइयों में 13,54,850 मीट्रिक टन धान की पराली का उपयोग करने का लक्ष्य रखा है. ये पहल टिकाऊ कृषि पद्धतियों और कृषि अपशिष्ट के प्रभावी और उपयुक्त उपयोग के प्रति हरियाणा प्रदेश के सकारात्मक रुख को व्यक्त करती है. भारत सरकार द्वारा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश और एनसीटी दिल्ली में फसल अवशेषों के यथास्थान प्रबंधन के लिए और कृषि तंत्र को बढ़ावा देने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत तीन सौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.