चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी ने जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से फिर सत्ता में वापसी की है. मुख्यमंत्री के तौर पर मनोहर लाल ने 27 अक्टूबर को दोबारा शपथ ली थी और दुष्यंत चौटाला ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, लेकिन इसके 2 हफ्ते बाद भी अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जा सका है.
हरियाणा में बिन मंत्रियों के पहली बार हुआ विधानसभा सत्र
हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब विधानसभा का एक पूरा सत्र बिना मंत्रियों के ही पूरा हो गया है. अभी भी बीजेपी में मंत्रिमंडल के स्वरूप को लेकर सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो कभी भी मंत्रिमंडल के विस्तार का ऐलान हो सकता है और रविवार या सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार लगभग तय है.
महाराष्ट्र के चलते हरियाणा में फंसा है पेंच !
राजनीतिक पंडितों की मानें तो महाराष्ट्र में राजनीतिक परिस्थितियों के कारण बीजेपी आलाकमान मंत्रिमंडल पर अंतिम फैसला नहीं ले पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ जेजेपी ने भी कई अहम विभाग भाजपा से मांग लिए हैं. सूत्रों की मानें तो कैबिनेट को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर चुके हैं. उन्होंने हरियाणा कैबिनेट का ब्लूप्रिंट लगभग तैयार कर लिया है.
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जननायक जनता पार्टी और निर्दलीय विधायकों के कोटे से मंत्री बनाने के चलते भी बीजेपी को काफी माथापच्ची करनी पड़ रही है. वहीं जननायक जनता पार्टी को उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ उनके दो और विधायकों को मंत्री पद मिलना भी लगभग तय माना जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के भी 9 विधायक मंत्री बन सकते हैं जबकि 2 निर्दलीय विधायक को मंत्री पद दिया जा सकता है.
मंत्री पद की दौड़ में आगे हैं ये विधायक
हरियाणा में मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होना है और ऐसे में अंबाला कैंट के विधायक अनिल विज का फिर से मंत्री बनना लगभग लगभग तय है. इसके अलावा पहली सरकार में स्पीकर रहे कंवरपाल गुर्जर को भी मंत्री पद मिलना तय है. भाजपा के इन दोनों ही सीनियर नेताओं को मंत्री पद मिलना तय है.
इसके साथ थानेसर के विधायक सुभाष सुधा पंजाबी समुदाय से मंत्री बन सकते हैं जबकि पूर्व स्पीकर कंवरपाल गुर्जर, अभय सिंह यादव और हरविंदर कल्याण ओबीसी कोटे से मंत्री बनाए जा सकते हैं.