चंडीगढ़: बीजेपी ने हरियाणा में अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी को हरियाणा बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जातीय समीकरण को ध्यान में देखते हुए ये बदलाव किया जा रहा है. बीजेपी ने हरियाणा में अभी तक चले आ रहे जाट प्रदेश अध्यक्ष और नॉन जाट सीएम के फार्मूले को हरियाणा में बदलते हुए बीसी (बैकवर्ड क्लास) समाज से संबंध रखने वाले नायब सैनी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है.
वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि बीजेपी हरियाणा में भी अब उत्तर प्रदेश की तर्ज पर सियासत चल रही है. जिस तरह उत्तर प्रदेश में बीजेपी ये मानकर चलती है कि यादव और मुस्लिम का वोट मिलना उनके लिए मुश्किल है, उसी तरह अब हरियाणा में भी बीजेपी ने मान लिया है कि जाट वोट उनके खाते में आना आसान नहीं है. शायद इसीलिए बीजेपी ये बदलाव कर रही है.
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हरियाणा में ये बात चर्चा में रहती है कि जाट समाज बीजेपी के साथ नहीं है. जिसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी के पिछले कार्यकाल में जाट आंदोलन के बाद से ही बीजेपी के लिए हरियाणा में स्थिति बदलने लगी थी. उसके बाद किसान आंदोलन ने बीजेपी से जाट वोटर को पूरी तरह से दूर कर दिया. ऐसे में बीजेपी की नजर अब नॉन जाट वोट पर है.
हरियाणा सरकार के परिवार पहचान पत्र के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में बीसी (बैकवर्ड क्लास) समाज की आबादी करीब 31 फीसदी और एससी 21 फीसदी हैं. इस पर वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि प्रदेश में 25 प्रतिशत के करीब जाट वोट हैं. वहीं अब लड़ाई इस वोट बैंक को लेकर भी कई पार्टियों में बंटी है. ऐसे में बीजेपी अब सिर्फ नॉन जाट वोट बैंक पर ही फोकस रखकर आगे बढ़ती दिख रही है.
धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि सरकार के पिछले कार्यकाल के समय से ही कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री और जाट नेताओं के बीच दूरियां रही हैं. अब नया अध्यक्ष बनना था तो मुख्यमंत्री ने जरूर नायब सैनी की पैरवी की होगी. क्योंकि जब मुख्यमंत्री संगठन में थे तो उसी वक्त नायब सैनी उनके सहायक के रूप में काम करते थे. वे कहते हैं कि अब इस कदम से संगठन और सरकार के बीच का तालमेल भी बैलेंस हो जाएगा और जो अलग-अलग बयानबाजी चल रही थी वो भी कम हो जायेगी.
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