चंडीगढ़: 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा कांग्रेस लगातार अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटी है. एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी सत्ताधारी बीजेपी और जेजेपी पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं, तो वहीं कांग्रेस इन दोनों दलों के साथ ही अन्य दलों के नेताओं को भी अपने पाले में करने में जुटी हुई है. दो दिन पहले ही बीजेपी, जेजेपी, इनेलो और आम आदमी पार्टी छोड़कर करीब 56 नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं, इनमें से 3 पूर्व विधायक हैं.
ऐसे में सवाल ये है कि क्या 2024 विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के इस तरह से कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी अन्य दलों के लिए चुनौती खड़ी कर पाएगी. क्या इससे आने वाले समय में सियासी समीकरण प्रभावित होंगे. इसको लेकर जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष सरदार निशान से कहते हैं कि यह स्वभाविक है कि चुनाव से पहले सभी दलों में अन्य दलों के नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. वे कहते हैं कि कांग्रेस छोड़कर भी नेता अन्य दलों में जा रहे हैं. हमारी पार्टी में भी कई अन्य दलों से नेता शामिल हो रहे हैं. निशान सिंह का कहना है कि इसका कोई बहुत बड़ा असर नहीं पड़ने वाला है.
2 दिन पहले कांग्रेस में 56 नेता शामिल हुए. ये भी पढ़ें-बीजेपी-जेजेपी को छोड़कर इन नेताओं ने थामा कांग्रेस का दामन
नेताओं को पार्टी में शामिल करने के बाद हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने कहा कि प्रदेश का सियासी मौसम बदल चुका है. कांग्रेस के पक्ष में चल रही हवा अब आंधी का रूप ले चुकी है. चुनाव आने तक ये तूफान में तब्दील हो जाएगी.
इधर इसी सवाल को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीन अत्रे कहते हैं कि सियासी दलों में नेताओं का इस तरह से पार्टी में आना जाना लगा रहता है. बीजेपी में भी बीते दिनों अन्य दलों के कई बड़े नेता शामिल हुए हैं. चुनावों में जीत के लिए बहुत सारी चीजें होती हैं. सरकार के द्वारा किए जाने वाले कामों का भी असर होता है. वे कहते हैं कि बीजेपी हरियाणा में मजबूत स्थिति में है और पार्टी फिर से तीसरी बार देश और हरियाणा की सत्ता पर काबिज होगी.
बीजेपी में भी दूसरे दल के नेता शामिल हो रहे हैं. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि जब भी चुनाव का वक्त नजदीक आता है तो नेताओं का इस तरह से दल बदल कोई नई बात नहीं है. नेताओं के दल बदलने से चुनाव पर कोई बहुत बड़ा असर नहीं पड़ता है. जहां तक बात सियासी समीकरणों की है तो उसमें बहुत सारे अन्य फैक्टर भी काम करते हैं जिससे चुनावी जीत और हार तय होती है. सियासत में वही पार्टी विजयी होती है, जो ना सिर्फ मुद्दों की समझ रखती है बल्कि धरातल पर इसको उतारने में कामयाब रहती है.
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