चंडीगढ़: हरियाणा में लिपिकों की एक माह से भी अधिक समय से चल रही हड़ताल के बीच अब स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा वर्कर्स भी 3 दिन की हड़ताल पर चली गई हैं. मंगलवार 8 अगस्त से 10 अगस्त तक वर्कर्स अपने वेतन बढ़ोतरी की मांग के अलावा अन्य मांगों के साथ सड़क पर उतर गई हैं. बता दें कि सोमवार, 7 अगस्त को पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए बुलाई गई बैठक में अधिकारियों के रवैये से नाराज होकर आशा वर्कर्स ने पूर्व नियोजित आंदोलन के तहत हड़ताल करने का फैसला किया.
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हड़ताल पर बैठीं आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार द्वारा आशा वर्करों को 2014 के मुकाबले 8 गुना काम देते हुए उन पर बेवजह का बोझ डाला जा रहा है. जबकि उन्हें जो भी वेतन सरकार की तरफ से दिया जा रहा है. वह एक अकुशल कर्मचारियों के बराबर है. लेकिन एनएचएम मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विभाग द्वारा कहा जा रहा है कि वर्कर्स के काम के मुताबिक उन्हें ज्यादा वेतन दिया जा रहा है.
आशा वर्कर्स की सरकारी सुविधाएं: विभाग का कहना है कि साल 2018 में आशा वर्करों को औसत मासिक आय 4000 रुपये था जो 2022-23 में बढ़ाकर 9600 रुपये कर दिया गया. इसमें भी केंद्र सरकार द्वारा 2400 रुपये ही दिए जा रहे हैं. जबकि 7200 रुपये राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे हैं. इसके अलावा प्रदेशभर से आशा वर्करों को इतनी आय नहीं दी जाती जितनी हरियाणा सरकार द्वारा दी जाती है.
हरियाणा में 20350 आशा वर्कर काम कर रही है. हरियाणा सरकार ने आशा वर्करों के लिए 2023-24 में 100 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा मासिक आय के अलावा अर्जित मासिक राशि का 50% अतिरिक्त आय और कार्य पर आधारित 7 प्रमुख गतिविधियों के लिए 750 रुपए दिए जाते हैं.