चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने बेसहारा बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए एक विशेष नीति चलाई है. इस नीति का नाम है हरिहर नीति. हरिहर नीति बेघर या आत्मसमर्पित बच्चों का पालन-पोषण, मुफ्त शिक्षा व रोजगार के लिए शुरू की गई है. गुरुवार को सूबे के मुखिया ने ऐसे 11 बच्चों को सरकारी विभागों में नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र सौंपे तो बच्चों के चेहरों पर मुस्कान आ गई.
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इन बच्चों को स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी स्थानीय निकाय, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास, उपायुक्त कार्यालय कैथल में ग्रुप-सी व ग्रुप-डी के पदों पर नियुक्ति दी गई है. महिला एवं बाल विकास की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉक्टर सुमिता मिश्रा ने बताया कि हरियाणा देश का ऐसा पहला प्रदेश है, जहां ऐसे बेसहारा बच्चों के लिए यह सहारनीय योजना शुरू की गई है. उन्होंने बताया कि इन 11 बच्चों में 9 लड़कियां व 2 लड़के हैं. जिसमें अदीति, प्रार्थना, माधवी, मधुलिका, नीलिमा, अनादी, सुधा, सरिता, दिव्या, कन्हैया, हिमांशु शामिल है.
राज्य सरकार को राज्य के बाल देखभाल संस्थानों से 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों को शैक्षणिक, वित्तीय व रोजगार के लाभ प्रदान करने के लिए ‘हरिहर’ नीति अधिसूचित की गई. नीति के तहत 5 साल की उम्र से पहले परित्यक्त व 1 वर्ष की आयु से पहले आत्मसमर्पित किए गए पात्र बच्चों को लाभ प्रदान किए जा रहे हैं.
टेक्निकल शिक्षा, कौशल, विकास और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग समेत मुफ्त स्कूल और उच्च शिक्षा, 25 साल की उम्र तक या शादी तक देखभाल, पुनर्वास और वित्तीय सहायता (सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की विकलांगता पेंशन के बराबर यानि 2500 रुपये प्रति माह) या शादी जो भी पहले हो. अनुकम्पा के आधार पर उन परित्यक्त और समर्पित बच्चों को नौकरी, जिन्हें 05 वर्ष की आयु से पहले (परित्यक्त के रूप में) और 01 वर्ष की आयु से पहले (समर्पित के रूप में) बाल देखभाल संस्थानों में भर्ती कराया गया था. जिन्होंने बाल देखभाल संस्थानों में रहते हुए 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो और जिनके पास आवश्यक शैक्षणिक योग्यता है, उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं.
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