चंजीगढ़: दुष्कर्म और हत्या के मामले सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को हरियाणा सरकार ने 21 दिन की फरलो (Furlough) दी है. वह हरियाणा में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद था. फरलो एक छुट्टी की तरह है. पैरोल पर भी कैदी कुछ समय के लिए जेल से बाहर आते हैं. लेकिन आप पैरोल और फरलो के बारे में जानते हैं? चलिए आपको बताते हैं पैरोल और फरलो का क्या मतलब है.
इसके तहत कैसे विचाराधीन या सजायाफ्ता को भी जेल से बाहर आने की इजाजत दी जा सकती है. आपने अक्सर ये शब्द तो जरूर सुने होंगे लेकिन इसके मायने क्या है, वो आज कानून की किताब से हम आपके लिए निकाल कर लाए हैं. दरअसल, फरलो और पैरोल अल्पकालिक अस्थायी रिहाई की परिकल्पना करता है. कैदी को एक विशेष अत्यावश्यकता को पूरा करने के लिए पैरोल दी जाती है, जबकि बिना किसी कारण के निर्धारित वर्षों की जेल के बाद फरलो दी जा सकती है. फरलो और पैरोल के मामले इन उदाहरणों से समझिए.
केस स्टडी-1 - राम रहीम का मामला-राम रहीम को अब तक कई बार पैरोल मिल चुकी है. पिछले साल 12 मई को डेरा प्रमुख को इलाज के लिए हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. उस दौरान राम रहीम को 48 घंटे की पैरोल मिली थी. तब उसने गुरुग्राम में अपनी बीमार मां से मुलाकात की थी. इसके बाद उसे 3 जून 2021 को जांच के लिए दोबारा पीजीआईएमएस लाया गया था, जबकि 6 जून को इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांता मेडिसिटी में भर्ती किया गया था. सोमवार को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिल गई (Ram Rahim Get Furlough) है. जिसके बाद वो जेल से बाहर आ गया है.
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डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.