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पर्यावरण पर दिल्ली सरकार के मंत्री बोले, हरियाणा में चल रहे पुरानी तकनीक से ईंट भट्ठे - delhi haryana stubble problem

ठंड के दिनों में दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है. इस बार प्रदूषण की स्थिति गम्भीर न हो, इसे लेकर दिल्ली सरकार पहले से ही तैयारी कर रही है. इन तैयारियों से दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को भी अवगत कराया और उनके सामने कुछ मांग भी रखी.

Gopal Rai meeting with Union Minister of Environment in delhi
Gopal Rai meeting with Union Minister of Environment in delhi

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Published : Oct 1, 2020, 9:15 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 10:14 PM IST

चंडीगढ़/नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय आज प्रदूषण के मुद्दे पर बुलाई गई केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की बैठक में शामिल हुए. इस बैठक में उनके अलावा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के पर्यावरण मंत्री और अधिकारी भी मौजूद रहे. इस डिजिटल मीटिंग के बाद गोपाल राय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने इस मीटिंग में मुख्य तौर पर तीन बातें कही.

'नई तकनीक के इस्तेमाल का अनुरोध'

गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली स्थिति पूसा कृषि संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है, जिसके जरिए किसानों को पराली जलाने की मजबूरी से मुक्ति मिल जाएगी. उन्होंने कहा कि मैंने आज की बैठक में केंद्रीय मंत्री और सभी राज्यों के मंत्रियों से कहा है कि वे अपने यहां इस तकनीक का इस्तेमाल करें. गोपाल राय ने कहा कि यह किसानों के लिए न सिर्फ सस्ता होगा, बल्कि इसके जरिए गल चुकी पराली खाद बन जाएगी.

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'थर्मल प्लांट्स बन्द करने की मांग'

इसके अलावा, गोपाल राय ने मीटिंग में दिल्ली एनसीआर के राज्यों में चल रहे 12 थर्मल पावर प्लांट्स का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट प्लांट्स को दिसम्बर 2019 में ही बन्द करने को बोल चुका है, लेकिन ये अब भी चल रहे हैं और इनके कारण दिल्ली प्रदूषण से प्रभावित हो रही है. उन्होंने इन्हें जल्द से जल्द बन्द कराने की मांग की. साथ ही, गोपाल राय ने दिल्ली एनसीआर में पुरानी तकनीक से चल रहे ईंट भट्ठों को भी बन्द कराने की मांग की.


'हरियाणा समेत पड़ोसी राज्यों में चल रहे ईंट भट्ठे'

गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली से सटे, उत्तर प्रदेश के इलाकों में 1640, हरियाणा में 161, और राजस्थान में 164 ईंट भट्ठे पुरानी तकनीक से चल रहे हैं, जो प्रदूषण के बड़े कारक हैं. दिल्ली में विभिन्न गतिविधियों के जरिए पैदा होने वाले प्रदूषण को लेकर गोपाल राय ने कहा कि हमने बीते 3 हफ्तों में एमसीडी, पीडब्ल्यूडी और दिल्ली पुलिस जैसे विभागों के साथ मीटिंग की है और दिल्ली के अपने प्रदूषण को कम करने को लेकर एक्शन प्लान तैयार किया है.

'5 अक्टूबर की सीएम की मीटिंग'

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 5 अक्टूबर को इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाले हैं. गोपाल राय ने कहा कि जिन गतिविधियों से प्रदूषण पैदा होता है, उससे जुड़े विभागों के साथ मुख्यमंत्री दिल्ली सचिवालय में 5 अक्टूबर को बैठक करेंगे. इसमें पर्यावरण विभाग, विकास विभाग, तीनों एमसीडी के कमिश्नर, डीएसआईडीसी और जल बोर्ड जैसे विभागों के अधिकारी मुख्यमंत्री के सामने अपना प्रेजेंटेशन देंगे.


'दिल्ली में नहीं जली थी पराली'

पूसा कृषि संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार तकनीक को दिल्ली सरकार इसबार बड़े स्तर पर दिल्ली के किसानों तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है, ताकि किसानों को पराली न जलानी पड़े. गोपाल राय ने कहा कि पिछले साल दिल्ली के प्रदूषण में 25 फीसदी हिस्सेदारी पराली की थी. लेकिन यह पड़ोसी राज्यों में जलाया गया था. दिल्ली में पिछले साल पराली नहीं जली और इसबार दिल्ली सरकार किसानों तक नई तकनीक पहुंचा रही है.

'800 हेक्टेयर में 20 लाख की लागत'

गोपाल राय ने कहा कि पराली काटने की मशीन के लिए केंद्र सरकार केवल दिल्ली के किसानों को लगभग 3 करोड़ की सब्सिडी देती है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को इसमें अपनी तरफ से पैसे जोड़ने पड़ते हैं. यही कारण है कि मशीन के लिए दिल्ली के मात्र 80 किसानों ने अप्लाई किया है. गोपाल राय ने बताया कि मशीन के खर्च की तुलना में इस नई तकनीक का खर्च बेहद मामूली है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के 800 हेक्टेयर खेत के लिए इस तकनीक में केवल 20 लाख की लागत आएगी.


'कड़कड़ी नहर गांव में तैयार होगा घोल'

इसके लिए सरकार तीन चरण में काम कर रही है. सबसे पहले किसानों से फॉर्म भरवाया जाएगा, जिसमें उनसे जानकारी ली जाएगी. इसके लिए ब्लॉक स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. इसमें स्थानीय विधायकों का भी सहयोग लिया जाएगा. इसके बाद पराली पर छिड़काव के लिए घोल तैयार होगा. गोपाल राय ने बताया कि नजफगढ़ के कड़कड़ी नाहर गांव में इसके लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार किया गया है.


'सरकार वहन करेगी खर्च'

यहां 6 अक्टूबर से पूसा के कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में 400 जगहों पर घोल तैयार होगा और फिर इस घोल का खेत के क्षेत्रफल के हिसाब से ट्रैक्टर के जरिए छिड़काव किया जाएगा. आपको बता दें कि बीते दिनों, पहले गोपाल राय और फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूसा कृषि संस्थान लास दौरा किया था और इस तकनीक से रूबरू हुए थे. गोपाल राय ने कहा कि इसमें आना वाला पूरा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी.

Last Updated : Oct 1, 2020, 10:14 PM IST

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