चंडीगढ़:चंडीगढ़ में दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन बुधवार को हुआ. बैठक में इन दो दिनों में इंटरनेशनल फाइनेंशियल आर्किटेक्चर पर चर्चा की गई. जिसमें जी 20 की अध्यक्षता कर रहे भारत द्वारा इस मुद्दे पर तैयार किए गए एजेंडे पर भी चर्चा हुई. इस बैठक को फाइनेंस मिनिस्ट्री की एडवाइजर अनु पी मथाई ने मीडिया को विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में जहां विभिन्न देशों के सामने खड़े होते आर्थिक संकट को लेकर चर्चा हुई, तो वहीं डिजिटल करेंसी को लेकर भी बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि इस बैठक में 100 के करीब प्रतिनिधियों ने भाग लिया. जिसमें कई इंटरनेशनल फॉर्म के सदस्यों ने शिरकत की.
जी-20 में अहम मुद्दों पर चर्चा: इसके साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि भारत द्वारा अपनी अध्यक्षता के दौरान इस मुद्दे को लेकर तैयार किए गए एजेंडे पर बैठक के दौरान विस्तार से चर्चा हुई. इसके साथ ही उन्होंने कहां की बहुत से ऐसे अफ्रीकी देश हैं, जिनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है और इसके साथ ही वर्तमान हालात में ऐसे देशों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. इनकी किस तरीके से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान मदद कर सकते हैं उसकी रूपरेखा को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई.
वित्तीय संकट में कई देश:फाइनेंस मिनिस्ट्री की एडवाइजर अनु पी मथाई जानकारी देते हुए यह भी बताया कि इस बैठक को फ्रांस और कोरिया को चेयर किया था. उन्होंने कहा कि बैठक में इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई कि वित्तीय संकट वाले देशों की किस तरीके से मदद की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इन बैठकों के जरिए एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा जो बाद में फाइनल एजेंडे में आएगा.
जरूरतमंद देशों की आर्थिक सहायता पर मंथन:इस 2 दिन की बैठक को वित्त विभाग और आरबीआई द्वारा मिलकर किया गया था. जिसमें जी-20 देशों के अलावा कई देशों के प्रतिनिधि भी शामिल थे. इसमें खासतौर पर बहुपक्षीय विकास बैंकों को कैसे मजबूत किया जाए, उसके लिए वैश्विक कार्रवाई का समर्थन करना है. इसके साथ ही टेरर फंडिंग, हवाला ट्रांजेक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग आदि विषयों पर भी चर्चा हुई है. उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी कहा कि हमें दुनिया में आर्थिक स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत है. ताकि जिन देशों की वित्तीय हालत खराब है, उनकी मदद की जा सके. इसी वजह से इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को भी बुलाया गया था.