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हरियाणा के किसान हुए लामबंद: विधानसभा घेरने निकले किसानों को पुलिस ने पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर रोका - हरियाणा के किसान

भारतीय किसान संघ (Bhartiya Kisan Sangh) ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान से सरकार को चुनौती दी है. वहीं, हरियाणा के किसान भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हरियाणा विधानसभा के घेराव के लिए चंडीगढ़ के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस ने चकूला और चंडीगढ़ सीमा पर ही उन्हें रोक दिया है. इसके साथ ही बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

farmers protest in chandigarh
पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर किसानों का धरना

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Published : Dec 22, 2022, 5:57 PM IST

पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर किसानों का धरना

चंडीगढ़: हरियाणा के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज नाडा साहिब पंचकूला में इकट्ठा हुए. यहां से किसान अपनी मांगों को लेकर हरियाणा विधानसभा के घेराव के लिए चंडीगढ़ के लिए निकले, लेकिन किसानों को पंचकूला और चंडीगढ़ सीमा पर ही रोक दिया गया. सभी किसान संगठन इन मांगों को लेकर हरियाणा विधानसभा का घेराव करना चाह रहे थे. (Farmers protest on Panchkula-Chandigarh border)

चंडीगढ़ सीमा पर बैठे किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अभी तक किसानों की मांगों के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है. उन्होंने कहा कि सरकार का कोई प्रतिनिधि आए और हमसे बात करे और हमें यह बताए कि अभी तक सरकार ने हमारी बैठकों में जो चर्चा हुई है, उन मांगों को लेकर क्या कदम उठाए हैं. (farmers protest in chandigarh)

पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर किसानों के धरना को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम.

किसान नेताओं का कहना है कि 20 दिसंबर से अंबाला के पंजोखरा साहिब गुरुद्वारे से 10 किसान जत्थेबंदियों द्वारा किसान अधिकार पदयात्रा शुरू की गई थी. जिसके तहत हमने आज तीसरे दिन अपनी मांगों का ज्ञापन सरकार को चंडीगढ़ आकर सौंपना था, लेकिन पुलिस ने हमें पंचकूला चंडीगढ़ बॉर्डर पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. अब 10 सदस्यीय किसानों का डेलिगेशन अपनी मांगों का मांग पत्र एसीएस अधिकारी बीएस कुंडू को सौंप दिया है. (barricading on panchkula chandigarh border)

ये हैं किसानों के मुद्दे: जुमला मलकान, मुश्तरका मालकान, शामलात देह, ढोलिधार, बुटमीदार, आबादकार और अन्य काश्तकारों के हकों के साथ-साथ किसानों की कर्जमाफी, भूमि संशोधन बिल, फसलों में खराबी के मुआवजे, गन्ने के रेट बढ़ाने के अलावा लंपी संक्रमण से मरे गौवंश के मालिकों को मुआवजा देने की मांग.

किसान नेताओं का कहना है कि यदि सरकार हमारी तमाम मांगों को नहीं मानती है तो 24 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले सभी किसान जत्थेबंदियों की बैठक होगी, जिसमें सरकार के खिलाफ रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने सरकार से अपील है कि किसानों की जायज मांगों को जल्द से जल्द माना जाए. (Demands of farmers in Haryana)

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