चंडीगढ़:किसान आंदोलन (Farmers Protest) को सात महीने पूरे हो चुके हैं. कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में चल रहा आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. दिल्ली की सीमाओं को घेरे बैठे किसान अभी भी पूरे जोश और बुलंद हौसले के साथ केंद्र सरकार को चेतावनी देते दिख रहे हैं. किसानों का साफ कहना है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती उनका आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा.
किसान नेताओं ने आंदोलन को तेज़ करने के लिए नई रणनीति बना ली है. किसान आंदोलन, अब हरियाणा और पंजाब की तरह उत्तर प्रदेश में भी सक्रिय रूप से दिखाई देगा. किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने साफ कर दिया है कि आने वाले कुछ दिनों में दो ट्रैक्टर रैलियों (Farmers Tractor Rally) को आयोजन होगा और सरकार के खिलाफ एक बार फिर किसान अपनी आवाज़ को बुलंद करेंगे.
योगी को किसानों की चुनौती!
किसान आंदोलन के बीच ही पांच राज्यों में चुनाव हुए और बीजेपी को पश्चिम बंगाल में करारी हार झेलनी पड़ी. केंद्र की मोदी सरकार के लिए किसान आंदोलन पहले दिन से मुश्किल खड़ी कर रहा है. किसान नेताओं ने भी बीजेपी के खिलाफ गांव-गांव जाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि अब हम बीजेपी हराओ और किसान बचाओ नारे के साथ उत्तर प्रदेश में एक बार फिर मोर्चा खोले जा रहे हैं, ताकि इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सके. किसानों ने कहा कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से लगता हुआ राज्य है और उसमें हम बीजेपी को हराकर ही दम लेंगे. पश्चिमी बंगाल में हमने बीजेपी को पटखनी दी, अब उत्तर प्रदेश की बारी है.
...फिर तेज हुआ किसान आंदोलन
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन काफी हद तक कमजोर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा था. किसान भी धीरे-धीरे आंदोलन स्थलों से वापस अपने गांवों की ओर लौटने लगे थे. उसके बाद किसे पता था कि राकेश टिकैत के आंसू किसान आंदोलन में नई जान फूंक देंगे. राकेश टिकैत के रोने के बाद किसान आंदोलन में मानो नई जान आ गई. अभी तक जो आंदोलन कुछ जगह सीमित दिखाई दे रहा था वो हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश के हर जिले तक पहुंच गया.