चंडीगढ़ःचुनावी कौलाहल और सरकार से अपनी मांगे मनवाने की जद्दोजहद के बीच किसानों के एक फैसले ने नई चर्चा को जन्म दिया है. किसानों ने अब एक शपथपत्र जारी (Farmers Issued Affidavit) किया है, जिसमें कहा गया है कि जब तक तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन (Farmers protest Agricultural Law) का कोई हल नहीं निकल जाता तब तक कोई भी किसान नेता चुनाव नहीं लड़ेगा.
इस सबके बीच राकेश टिकैत (Rakesh Tikait Farmers leader) लखनऊ का रुख कर रहे हैं, क्योंकि 2022 में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं तो किसानों का इरादा है कि बीजेपी को उसके सबसे मजबूत किले में घेरा जाये. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किसानों को ये शपथपत्र (Farmer affidavit issued) जारी क्यों करना पड़ा? दरअसल सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी लगातार किसानों पर आरोप लगा रही थी कि ये किसान नहीं है बल्कि ये वो लोग हैं जो किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं.
इसमें गुरनाम सिंह चढ़ूनी के हालिया बयान आग में घी का काम कर रहे थे. इन्हीं बयानों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने उन पर पाबंदियां भी लगाई थी, लेकिन उनका गुरनाम चढ़ूनी पर कोई फर्क नहीं हुआ और उन्होंने खुलकर कहा कि किसानों को राजनीति में आना चाहिए. इसी को आधार बनाकर बीजेपी एक नैरेटिव सेट कर रही थी जिसकी काट के लिए किसान ये शपथपत्र लेकर आये हैं.