चंडीगढ़: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के 70 दिनों से ज्यादा का समय हो चुका है. अभी तक सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति नहीं बनी है. सरकार ने किसानों को कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करवाने की मांग पर अड़े हैं. इसी बीच आंदोलन तेज होता जा रहा है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम का ऐलान किया था. चक्का जाम सबसे व्यापक असर हरियाणा और पंजाब में देखने को मिला है. बात अगर हरियाणा की करें, तो लगभग हर जिले में किसानों ने नेशनल और स्टेट हाईवे को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक के लिए जाम किया. इस दौरान किसानों ने सिर्फ इमरजेंसी वाहनों को आने-जाने की अनुमति दी.
इन जिलों में दिखा चक्का जाम का व्यापक असर-
- अंबाला
6 फरवरी को नए कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 घंटे के लिए देशव्यापी चक्का जाम किया. किसान संगठनों के इस ऐलान का असर हरियाणा के शम्भू बॉर्डर पर सबसे ज्यादा देखने को मिला. यहां हजारों की संख्या में किसान पहुंचे और नेशनल हाईवे को ब्लॉक किया.
- करनाल
किसानों ने बसताड़ा टोल प्लाजा (राष्ट्रीय राजमार्ग-44) पर चक्का जाम किया. सयुक्त मोर्चे के आह्वान पर यहां हजारों की संख्या में किसान पहुंचे और नेशनल हाईवे को जाम किया. किसानों ने कहा कि उनका ये चक्का जाम शांतिपूर्वक रहा है और वो कानून को रद्द करवाकर ही घर वापस जाएंगे.
- पलवल
किसानों ने नेशनल हाईवे-19 पर अटोहां चौक के पास चक्का जाम कर दिया. नेशनल हाईवे पर वाहनों की आवाजाही बिल्कुल बंद कर दी गई. 3 घंटे तक रोड बिल्कुल सूने पड़े रहे. इसके बाद 3 बजे और किसानों का चक्का जाम समाप्त हुआ. चक्का जाम बिल्कुल शांतिप्रिय रहा.
- सोनीपत
सोनीपत में किसानों ने कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) और कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (केजीपी) एक्सप्रेसवे पर चक्का जाम कर दिया. इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. दूसरी तरफ चक्का जाम को देखते हुए सोनीपत पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर रही. सोनीपत में पैरामिलिट्री की 19 कंपनियों को तैनात किया गया.
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