चंडीगढ़:प्रदेश में बढ़ते जमीनी पानी के संकट को देखते हुए हरियाणा सरकार की तरफ से पानी बचाने की मुहिम के तहत 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना की शुरूआत की गई थी. जिसके तहत धान की फसल छोड़ने वाले किसानों को सरकार की तरफ से पैसे दिए जाने की योजना शुरू की गई.
योजना के तहत मिलते हैं 7 हजार रुपये
इस योजना के तहत अब बड़ी संख्या में धान की फसल छोड़कर दूसरी फसलों की तरफ गए किसानों का आंकड़ा बढ़ा है. इस योजना के तहत गत वर्ष 96 हजार एकड़ में किसानों ने धान की फसल छोड़कर अन्य फसलों की बिजाई की है.
इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 7,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते हैं, जिसमें 2,000 रुपये की पहली किस्त फसल के सत्यापन के बाद और शेष 5,000 रुपये फसल की पकाई के समय दिए जाते हैं.
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हरियाणा सरकार ने भूजल स्तर नीचे पहुंचने के चलते प्रभावित खंड रतिया (जिला फतेहाबाद), सिवान और गुहला (जिला कैथल), पिपली, शाहाबाद, बबैन और इस्माइलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र) और ब्लॉक सिरसा (जिला सिरसा) के किसानों को धान की जगह कम पानी से पकने वाली मक्का, बाजरा, कपास, दलहन और बागवानी फसलें बोने के लिए खासा प्रोत्साहित किया. जिसके बाद किसानों ने धान छोड़नी शुरू की.
इन ब्लॉकस के अलावा अम्बाला, भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पंचकूला, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सोनीपत, यमुनानगर में भी किसानों ने धान छोड़कर अन्य फसलों को अपनाया है.
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हरियाणा में अब ‘'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना को 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' योजना से लिंक किया जाएगा ताकि किसानों को प्रोत्साहन राशि का लाभ बिना किसी देरी के मिल सके. ये योजना पिछले वर्ष 6 मई को लागू की गई थी. अब तक प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों ने 96,000 एकड़ में धान की बजाय अन्य फसलों की बिजाई की है.
पहले वर्ष मिले उत्साहजनक परिणामों के फलस्वरूप हरियाणा सरकार ने इस बार भी किसानों को इस योजना के तहत प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है. हरियाणा में अब बागवानी, सब्जी, चारा, मूंगफली, मूंग व अन्य दालें, सोयाबीन, ग्वार आदि की बिजाई के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी.
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