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दिनभर वाटर कैनन के आगे डटे रहे किसान, बैरिकेडिंग तोड़कर किया दिल्ली कूच

अगर आप किसी वजह से किसान आंदोलन से जुड़ी खबरों को नहीं पढ़ पाए. तो यहां जानिए दिन भर का घटनाक्रम.

farmer protest Haryana Punjab border
farmer protest Haryana Punjab border

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Published : Nov 26, 2020, 10:11 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब के करीब 30 किसान संगठनों ने गुरुवार को दिल्ली कूच किया. किसानों का कहना है कि वो केंद्र द्वारा लाए गए कानूनों के खिलाफ हैं, किसान एमएसपी पर लिखित में भरोसा देने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानेगी तबतक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. किसानों ने अपने प्रदर्शन में नारा दिया है, 'घेरा डालो, डेरा डालो' और 'चलो दिल्ली'

गुरुवार को दिन बढ़ने के साथ-साथ हरियाणा में किसानों का आंदोलन उग्र होता गया. अंबाला जिले से लगते पंजाब के शंभू बॉर्डर पर सुबह से ही माहौल तनावपूर्ण रहा. यहां किसानों और अंबाला पुलिस के बीच झड़प भी देखने को मिली. किसानों ने बैरिकेड्स को उठाकर पुल से नीचे फेंक दिया और पथराव किया. जवाब में पुलिस ने किसानों पर पानी की बौछार की और आसूं गैस के गोले छोड़े. लेकिन किसानों को रोकने में पुलिस कामयाब नहीं हुई. किसान बैरिकेड्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ गए.

अंबाला में किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प

इसके बाद करनाल जिले में भी पुलिस प्रशासन के इंतजाम किसानों के आदोलन के आगे नाकाफी दिखे. यहां भी किसानों ने नेशनल हाईवे-44 पर बैरिकेड को तोड़ दिया. इसके बाद किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए. कमोबेस यही हालात कैथल जिले के पंजाब बॉर्डर पर भी देखने को मिला. किसानों ने जमकर बवाल मचाया और पुलिस के वाहनों पर चढ़कर तोड़फोड़ की कोशिश की. यहां भी पुलिस ज्यादा देर किसानों को नहीं रोक पाई. किसान बैरिकेड्स को तोड़ते हुए दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए. पंजाब के किसान भी कैथल में प्रवेश कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

करनाल में किसानों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल

जींद जिले के खनौरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में इकठ्ठे हुए किसानों ने जमकर हंगामा किया. जिसे देखते हुए भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई, लेकिन किसानों के सामने पुलिस की एक ना चली. इस दौरान किसानों ने बैरिकेड्स को तोड़ दिया, यहां तक की वहां रखे भारी भरकम पत्थरों को रास्ते से हटा दिया. किसानों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों में जमकर तोड़फोड़ की. किसानों ने अफसरों के वाहनों को भी नहीं छोड़ा और ईंट-पत्थरों से उनकी गाड़ियों पर धावा बोल दिया. जिसमें कई गाड़ियों शीशे टूट गए. किसानों के बढ़ते रोष को देखते हुए पुलिस को पीछे हटना पड़ा. जिसके बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए. किसानों का कहना है जहां हमे रोका जाएगा वहीं पर बैठकर प्रदर्शन करेंगे.

जींद में रास्ता मिट्टी और पत्थर लगाकर सील किया.

किसानों को रोकने के लिए सड़क खोद डाली

पुलिस की तैनाती और बैरिकेड लगाने से जब किसान नहीं रुके. तो पुलिस प्रशासन ने नई तरकीब निकाली. किसानों को रोकने के लिए प्रशासन ने दिल्ली जाने वाले सोनीपत-पानीपत हलदाना बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की. इसके साथ ही सड़क की खुदाई कर मिट्टी और पत्थरों से बांध बना दिया.

सोनीपत में पुलिस ने खोद डाली सड़क

गुरुग्राम में प्रदर्शन कर रहे योगेंद्र यादव और अन्य किसानों को हिरासत में लिया गया है. बिलासपुर थाना क्षेत्र में ट्रैक्टर पर सवार होकर योगेंद्र यादव दिल्ली की ओर जाने की तैयारी में थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली से गुरुग्राम, और नोएडा की मेट्रो सेवा को बंद कर दिया गया. किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण हरियाणा की साइबर सिटी गुरुग्राम में पांच किलोमीटिर से ज्यादा लंबा जाम लग गया. पुलिस को जाम खुलवाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

एक लड़ाई जहां किसान सड़कों पर लड़ रहें है तो दूसरी लड़ाई पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में जारी है. दरअसल किसान आंदोलन को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने सैकड़ों किसानों को हिसारत में लिया था. जिसको लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई गई. याचिका में कहा गया है कि सभी थानों में जांच के लिए सरकारी खर्चे पर वॉरंट ऑफिसर तैनात किए जाए, थानों में जांच कर निर्दोष किसानों को रिहा करवाए और सरकार ऐसे किसानों को उचित मुआवजा जारी करे. हाई कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में हरियाणा के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. गुरुवार को हुई सुनवाई में हरियाणा सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने के लिए हाई कोर्ट से समय लिया है. अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी.

किसान प्रदर्शन पर सियासी जंग

किसान आंदोलन की तीसरी लड़ाई राजनीतिक अखाड़े में जारी है. मामले को लेकर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री आमने-सामने हैं. दरअसल अंबाला पटियाला बॉर्डर पर पुलिस ने हरियाणा में एंट्री कर रहे पंजाब के किसानों पर लाठीचार्ज किया था. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस लाठीचार्ज की निंदा की. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले टवीट करते हुए लिखा कि लगभग 2 महीने से किसान बिना किसी समस्या के पंजाब में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हरियाणा सरकार बल का सहारा लेकर उन्हें क्यों उकसा रही है? क्या किसानों को सार्वजनिक राजमार्ग से शांतिपूर्वक गुजरने का अधिकार नहीं है?

इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पंजाब के मुख्यमंत्री पर किसानों को उकसाने का आरोप लगाया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि कैप्टन अमरिंदर जी 'मैंने इससे पहले कहा है और मैं इसे फिर से कह रहा हूं, मैं राजनीति छोड़ दूंगा अगर एमएसपी पर कोई परेशानी होगी, इसलिए निर्दोष किसानों को उकसाना बंद करें.'

कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा

इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कृषि कानून में एमएसपी को लेकर प्रावधान किया जाना चाहिए कि अगर कोई भी एमएसपी से नीचे फसल खरीदेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना काल में वाटर कैनन का इस्तेमाल कर बीमारी को बढ़ावा देने वाली बात है. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है. बल्कि किसानों को जेलों में डाला जा रहा है. बीजेपी सरकार दमनकारियों नीतियों से बाज आए.

एक तरफ कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगाती नजर आ रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी किसान आंदोलन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीतिक फायदे के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं. धनखड़ ने कहा कि पंजाब सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को तबाह करने पर तुली है और राज्य को बीमारू राज्य बनाने में लगी है.

ये भी पढ़ें- किसानों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर HC में सुनवाई, सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट के लिए मांगा एक दिन का समय

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने साफ किया कि जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता तब तक किसान ऐसे ही सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे. किसानों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी सरकार अब बैकफुट पर नजर आ रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है. चर्चा के माध्यम से ही रास्ते निकलते हैं. उन्होंने कहा कि किसान अपने आंदोलन को स्थगित करें और चर्चा के लिए आएं.

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