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khedar thermal plant ash matter: आज हिसार के खेदड़ गांव में पहुंचेगे किसान नेता राकेश टिकैत, ग्रामीणों के धरने में होंगे शामिल - खेदड़ प्लांट हिसार की राख पर विवाद

हरियाणा के हिसार में बने खेदड़ थर्मल पावर प्लांट की राख को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इस आंदोलन को अब किसान संगठन का भी समर्थन मिल गया है. खबर है कि शनिवार को किसान नेता राकेश टिकैत भी खेदड़ गांव पहुंच रहे है. इसके बड़ी संख्या में किसानों और गांव वाले पहुंचेगे.

Rajiv Gandhi Thermal Power Plant Hisar
आज हिसार के खेदड़ गांव में पहुंचेगे किसान नेता राकेश टिकैत, ग्रामीणों के धरने में होंगे शामिल

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Published : Jul 9, 2022, 12:37 PM IST

हिसार:हरियाणा के हिसार जिले के खेदड़ पावर प्लांट की राख को लेकर हुए विवाद तूल पकड़ता चला जा रहा (Controversy over ashes of Khedar Plant Hisar) है. शुक्रवार को खेदड़ थर्मल प्लांट की राख को लेकर हुए टकराव के बाद गांव वालों में काफी गुस्सा है. इस बीच आंदोलन को किसान संगठनो का भी समर्थन मिल गया है. किसान नेताओं ने पूरे प्रदेश के किसानों से खेदड़ पहुंचने की अपील की है.आज बड़ी संख्या में किसान और ग्रामीण खेदड़ गांव में जुटेंगे. खबर है कि किसान नेता राकेश टिकैत भी आज खेदड़ गांव पहुंच रहे हैं. वहीं दूसरी ओर गांव में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.

कल क्या हुआ था- खेदड़ गांव में राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट (Rajiv Gandhi Thermal Power Plant) से निकलने वाली राख की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. शुक्रवार को एक बार फिर पुलिस और प्रदर्शनकारी ग्रामीण आमने-सामने हो गये. ट्रैक्टर से बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ रहे ग्रामीणों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. प्रदर्शनकारियों को रोकने काबू करने के लिए पुलिस ने भी बल का प्रयोग किया. पुलिस और ग्रामीणों में शुक्रवार को हिंसक झड़प और पुलिस लाठीचार्ज में एक 56 साल के किसान धर्मपाल की मौत हो गई थी.

क्या है खेदड़ राख का पूरा मामला- 2010 में जब खेदड़ थर्मल प्लांट शुरू हुआ था तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख उनके लिए बड़ी समस्या थी. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांव वालों ने उस राख को उठाना शुरू किया. गांव वाले धीरे-धीरे उस राख से होने वाले मुनाफे से एक गौशाला का निर्माण कर उसे चलाने लगे. आज के समय में राख का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में इस्तेमाल होने लगी. इसके चलते उसका दाम बढ़ गया.

दाम बढ़े तो खेदड़ थर्मल प्लांट ने उससे मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को बेचने का निर्णय लिया. ग्रामीण इसी का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि जब राख फालतू थी तो हम उठा रहे थे. आज मुनाफा आया तो खुद बेचने लगे. राख बेचने के मुनाफे से बनाई गई उस गौशाला में करीब 1000 गाय हैं. गौशाला ने राख हटाने के लिए लाखों रुपए की मशीनें भी खरीदी हैं. अब थर्मल पावर प्लांट उसका टेंडर जारी कर रहा है.

गांव वालों का कहना है कि अगर ऐसा किया गया तो गांव की गौशाला बेसहारा हो जाएगी. एक हजार गाय भूखी मर जाएंगी. इसी मुद्दे पर पिछले करीब 86 दिनों से पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. थर्मल प्रशासन की तरफ से शिकायत पर पुलिस ने करीब डेढ़ सौ प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा भी दर्ज किया है. थर्मल के अधिकारियों ने प्लांट में तोड़फोड़ होने का भी अंदेशा जताया है.

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