चंडीगढ़: लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार की ओर से छूट मिलने के बाद फैक्ट्रियों को खोला जा रहा है, लेकिन अब इन फैक्ट्रियों पर लेबर नहीं होने की वजह से खतरा मंडराना शुरू हो गया है. दरअसल, प्रदेश सरकारें अपने-अपने राज्यों के मजदूरों को वापस तो बुला रही है, लेकिन ऐसे में लेबर की कमी से फैक्ट्रियों का काम प्रभावित होना लगभग तय है.
चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल यूथ एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट दीपक शर्मा ने बताया कि प्रवासी मजदूरों का लगातार पलायन इंडस्ट्री के लिए संकट खड़े कर सकता है, क्योंकि आने वाले दिनों में जब इंडस्ट्री को शुरू किया जाएगा तब हमारे पास अपनी फैक्ट्रियों को चलाने के लिए मजदूरों की कमी हो जाएगी. फैक्ट्री मालिकों ने कई बड़े ऑर्डर लिए हैं और तय वक्त पर माल पहुंचाने की जिम्मेदारी भी है, लेकिन अगर लेबर नहीं होंगे तो काम प्रभावित होना तय है.
प्रवासी मजदूरों के जाने से आधा हो सकता है फैक्ट्रियों का प्रोडक्शन उन्होंने कहा केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को इस बारे में जनकारी है, लेकिन इसके बावजूद भी फैक्ट्री मालिकों के बारे में सोचा नहीं जा रहा है. दीपक शर्मा ने कहा कि प्रवासियों को अगर यहां पर सारी सुविधाएं दी जाएं तो उन्हें जाने से रोका जा सकता है. हालांकि फैक्ट्री मालिक अपने स्तर पर अपने मजदूरों को सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं, लेकिन ये नाकाफी है.
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दीपक शर्मा ने बताया कि चंडीगढ़ में करीब 2000 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें करीब 10000 मजदूर काम करते हैं, लेकिन अब उनमें से ज्यादातर मजदूर चंडीगढ़ छोड़कर जा चुके हैं. ऐसे में उन सभी फैक्ट्रियों को शुरू करने का संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार फैक्ट्री मालिकों को कोई रियायत नहीं दे रही है. यहां तक कि उनके बिजली के बिल में भी कोई छूट नहीं दी गई है और उसके ऊपर सरकार ने सभी फैक्ट्री मालिकों को अपनी लेबर को पूरा वेतन देने के भी आदेश दिए हैं.