चंडीगढ़: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मोदी सरकार 2.O का पहला यूनियन बजट पेश किया. इस बजट को वित्त मंत्री ने बहीखाते का नाम दिया. बजट के भाषण में उन्होंने भारत के नागरिक को मजबूत बनाने की बात कही. बता दें कि बजट में पेट्रोल और डीजल पर सेस बढ़ाया गया है. आइए जानते हैं कि सरकार का सेस बढ़ाने के पीछे क्या प्लान है.
शुक्रवार को लोकसभा में पेश आम बजट में जहां पेट्रोल और डीजल पर बढ़े सेस की चर्चा है तो वहीं इसके पीछे सरकार की सोची समझी रणनीति भी है. दरअसल मोदी सरकार का मकसद आने वाले समय में देश में पेट्रोल-डीजल की खपत को कम करके प्रदूषण घटाना भी है. साथ ही सरकार चाहती है कि पेट्रोल और डीजल आयात नहीं करना पड़े और सरकार के अरबों रुपयों की बचत हो. आइये जानते हैं मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे की रणनीति.
वित्त मंत्री ने पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाया सेस
सरकार चाहती है कि देश को न महंगा पेट्रोल खरीदना पड़े और न ही प्रदूषण बढ़े. सरकार ने योजना बनाई है कि अगले 5 साल में देश में करीब 15 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन हों. इसलिए वित्त मंत्री ने इस बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी का ऐलान किया है. सरकार के मुताबिक अगर भारत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देता है तो तेल आयात मद में खर्च होने वाले 1.2 लाख करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है.
खास बात ये है इस वक्त देश में करीब 17 करोड़ दोपहिया वाहन हैं. प्रत्येक वाहन हर रोज़ करीब आधा लीटर पेट्रोल की खपत करता है. जिससे देश में कुल 34 अरब लीटर पेट्रोल की खपत होती है. 70 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से इस पर करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये की लागत आती है. पेट्रोल और डीजल से गाड़ी चलाना न सिर्फ खर्चीला है बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन सबसे अच्छा विकल्प है और आने वाले कल इलेक्ट्रिक गाड़ियों का होगा.