नई दिल्लीः किसान कानून का विरोध करते हुए विभिन्न संगठनों की अगुवाई में जिस तरह पंजाब, हरियाणा, यूपी समेत अन्य राज्यों के किसान दिल्ली में आकर बिल का विरोध करना चाहते हैं, इससे दिल्ली की सीमाओं पर भी झड़प की स्थिति उत्पन्न हो गई है. किसान आंदोलन के नेतृत्व करने वालों में से एक किसान नेता और स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव को गुरुवार को हरियाणा में हिरासत में ले लिया गया था. आज वह वे दोबारा किसानों के साथ दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार घबराई हुई है. साल 2011 में नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर एक कानून बना दिया जाए. अब सत्ता में काबिज सरकार क्यों अपनी बात से पीछे हट रही है.
'किसान विरोधी हैं केंद्रीय किसान बिल'
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों को दिल्ली आने का अनुरोध किया है. क्या इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई जवाब आया इस पर योगेंद्र यादव ने कहा कि अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उन्होंने कहा कि किसान कानून से अगर किसानों का भला होता तो 50 दिनों से देशभर के किसान सड़कों पर नहीं होते. वह दिल्ली में आकर विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं. तो क्या वजह है कि उन्हें नहीं आने दिया जा रहा है.
'डरी हुई है केंद्र सरकार'
योगेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार सरकार डरी हुई है क्योंकि जो किसान कानून लागू किया गया है, वह किसान विरोधी है. जो बात अब देश भर के किसान समझ चुके हैं. भारतीय किसान संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन समेत कई संगठन इसमें शामिल हैं. हमारी पहली मांग प्रधानमंत्री से यह है कि किसानों को बेरोकटोक दिल्ली आने दिया जाए.
दूसरी मांग है कि उन पर वाटर कैनन आदि का इस्तेमाल गलत है. आंसू गैस के गोले छोड़ने का कोई मतलब नहीं है. एक जगह किसानों को दिल्ली में दी जाए अपनी बात रखने के लिए. हमारी तीसरी मांग यह है कि बिना देरी किए हुए सरकार किसान बिल पर किसानों से बात करें. उनकी जो बातें हैं हैं वह तुरंत सुनी जाए.