चंडीगढ़:21वीं सदी का वो साल जिसने पूरे विश्व को लॉकडाउन और क्वारंटीन का मतलब बताया. वो साल जिसकी शुरुआत से ही लोग इसके जल्द से जल्द बीत जाने की दुआएं कर रहे हैं. जी हां वही साल 2020 जिसके खत्म होने में अब चंद दिन बचे हैं, लेकिन 2020 के अंत में भी जो खत्म नहीं हुआ, वो है कोरोना वायरस और इस महामारी की वैक्सीन बन जाने का इंतजार.
हरियाणा में कोरोना वायरस
आबादी के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मुल्क भारत भी साल 2020 में कोरोना की जद में आया. देश में कोरोना के केस बढ़े तो हरियाणा भी पीछे नहीं रहा. कोरोना का संक्रमण देखते ही देखते हरियाणा में भी फैल गया, लेकिन राहत की बात ये है कि यहां रिकवरी रेट 97 फीसदी के पार पहुंच चुका है. जो देश में टॉप के पांच राज्यों में आता है. वहीं अगर कोरोना से मरने वालों की बात करें तो प्रदेश में अब तक 2899 लोग कोरोना के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं.
आम से लेकर खास तक कोरोना की चपेट में
जब हरियाणा में कोरोना वायरस के केस तेजी से बढ़ने लगे तो क्या आम और क्या खास. हर कोई इसकी चपेट में आने लगा. एक वक्त तो ऐसा आया जब विधानसभा सत्र से पहले हरियाणा की आधी से ज्यादा कैबिनेट कोरोना पॉजिटिव थी. फिर वो सीएम मनोहर लाल हों विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता हों या फिर पक्ष और विपक्ष के बड़े नेता.
लॉकडाउन और प्रवासी मजदूर
मार्च महीना आपके और हमारे लिए शायद घरों में रहकर कुछ ना करने का रहा, लेकिन यही मार्च का महीना प्रवासी मजदूरों के लिए मार्च करने का रहा. भूख और प्यास, प्रवासी मजदूरों को सैकड़ों या फिर हजारों किलोमीटर तक पैदल ले गई. इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए 96 स्पेशल ट्रेनें और 5500 से ज्यादा बसों की व्यवस्था की गई.आंकड़ों के मुताबिक करीब 3,26000 प्रवासी मजदूरों को हरियाणा सरकार ने उनके घर तक पहुंचाया.
थैंक्यू, कोरोना वॉरियर्स
इसके साथ ही 2020 जाते-जाते हमें पुलिस और डॉक्टर्स पर भरोसा करना भी सिखा गया. पुलिस सड़कों पर और डॉक्टर्स अस्पताल में कोरोना के खिलाफ कवच बन हमारी सुरक्षा करते रहे. इस दौरान कॉरोना वॉरियर्स हमारे लिए कई-कई दिन अपने घर-परिवार से दूर रहे तो कई ऐसे भी कॉरोना वॉरियर्स थे जिन्होंने हमारे लिए अपना जीवन तक दांव पर लगा दिया.
उद्योग धंधे चौपट
24 मार्च 2020. साल का वो दिन जब पहली बार 21 दिनों के लिए देश में लॉकडाउन लगा. जब लोग घरों में लॉक थे तो दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से मारूती जैसी बड़ी कार निर्माता कंपनी का प्रोडक्शन करीब 50 दिनों तक मानेरस प्लांट में ठप रहा. इसके अलावा अंबाला में एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट और पानीपत का इंडस्ट्रियल एरिया भी इस दौरान पूरी तरह से बंद रहा.
कोरोना की वजह से राजस्व घाटा
लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई. हरियाणा सरकार को लॉकडाउन के दौरान करीब 16000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व घाटा उठाना पड़ा. इस आर्थिक बोझ के चलते प्रदेश सरकार 10,000 करोड़ से ऊपर का अतिरिक्त कर्ज भी ले चुकी है. आंकड़ों पर गौर करें तो 1966 से लेकर 2014 तक हरियाणा का कर्ज 70 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन सिर्फ साढ़े तीन साल में, मार्च 2018 तक ये कर्ज 90 हजार करोड़ रुपये बढ़ गया. जो अब 2 लाख करोड़ के करीब पहुंचता जा रहा है
हरियाणा में बेरोजगारी दर बढ़ी
कोरोना वायरस की वजह से इस साल हरियाणा में बेरोजगारी ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. कई कंपनियां बंद हो गई. कई कर्मचारियों की नौकरी चली गई. मजदूरों को मनरेगा में काम तक नहीं मिला. बड़े पदों पर काम करने वाले लोग इस दौरान सब्जी बेचते नज़र आए. CMIE (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर माह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर हरियाणा की रही, ये 25.6% थी.
कोरोना काल में भर्तियां रुकी
हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में खर्चे कम करने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए सरकारी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर एक साल के लिए रोक लगा दी. वहीं हर साल बढ़ने वाला महंगाई भत्ता भी इस साल सरकारी कर्मचारियों को नहीं गिया गया. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों की एलटीसी पर भी रोक लगा दी गई.
विदेश जाना महज सपना रह गया
एक तरफ जहां सरकारी भर्तियों पर एक साल की रोक लगी तो वहीं दूसरी तरफ कॉलेज बंद होने की वजह से कई छात्रों का प्लेसमेंट भी रुक गया. वहीं विदेश जाकर पढ़ाई या फिर नौकरी करने वालों का सपना भी कोरोना के चलते अधूरा रह गया, क्योंकि लॉकडाउन के चलते फ्लाइट्स या तो बंद थी या फिर कैंसिल.
लॉकडाउन के दौरान कृषि
लॉकडाउन ने जहां उद्योग जगत की कमर तोड़ी तो वहीं इस दौरान कृषि एक मात्र ऐसा सेक्टर था. जिसपर लॉकडाउन का ज्यादा असर नहीं पड़ा बल्कि एग्रीकल्चर सेक्टर में लॉकडाउन के दौरान और बाद में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली. हालांकि लॉकडॉउन के दौरान मजदूरों की कमी देखी गई जिससे किसानों पर 2 से 4% ज्यादा बोझ पड़ा, लेकिन फसलों के उत्पादन पर किसानों को कोई नुकसान सहना नहीं पड़ा. हरियाणा में इस साल फसलों का उत्पादन पिछले सालों के मुकाबले में 25% ज्यादा रहा.
कोरोना काल और चुनाव