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परीक्षाएं रद्द होने से बच्चों को भविष्य में होगा नुकसान? छात्रों के ऐसे सभी सवालों का जवाब दे रहे हैं शिक्षाविद आशीष कपूर

कोरोना महामारी के चलते 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी गई हैं. जिसको लेकर बहुत से छात्र राहत की सांस ले रहे हैं जबकि कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि परीक्षा रद्द होने से उनका नुकसान हुआ है. वहीं ईटीवी भारत ने इस बारे में शिक्षाविद आशीष कपूर से खास बातचीत की और जाना कि परीक्षा रद्द होने से बच्चों के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा.

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Published : Jun 2, 2021, 7:08 PM IST

Updated : Jun 2, 2021, 10:12 PM IST

education expert on board exams cancel
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फरीदाबाद:कोरोना महामारी के चलते सीबीएसई द्वारा 12वीं की बोर्ड परीक्षा (CBSE Board Exam) रद्द करने के बाद अब हरियाणा बोर्ड ने भी 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है. वहीं परीक्षाओं के रद्द करने के फैसले का जहां कुछ लोगों ने स्वागत किया है तो वहीं कई लोग बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता जता रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने एजुकेशन एक्सपर्ट आशीष कपूर से खास बातचीत की और जाना कि परीक्षा रद्द होने से बच्चों के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा.

बच्चों के भविष्य पर पड़ेगा बुरा असर

डॉ. आशीष कपूर ने कहा कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन इस वक्त बच्चों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है. ऐसे माहौल में परीक्षाएं आयोजित करवाना मुश्किल भरा काम है इसीलिए सीबीएसई ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 12वीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया. सीबीएसई का ये फैसला सही कहा जा सकता है, लेकिन इससे बच्चों को काफी नुकसान होगा.

सुनिए एजुकेशन एक्सपर्ट आशीष कपूर से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि इंटरनल एग्जाम में टीचर बच्चों को जानबूझकर कम अंक देते हैं ताकि बच्चे और ज्यादा मेहनत करें. कई बच्चे इस बात को लेकर नाखुश हैं कि उन्होंने पढ़ाई तो अच्छी की थी, लेकिन इंटरनल एग्जाम में उनको नंबर कम मिले हैं. अगर उसके आधार पर बच्चों के फाइनल रिजल्ट घोषित किए जाएंगे तो उनके मार्क्स काम आएंगे जबकि वे परीक्षा होने पर ज्यादा अंक ले सकते थे.

किस आधार पर होंगे कॉलेज में एडमिशन?

दूसरी बात ये है कि कॉलेज में एडमिशन किस आधार पर होंगे. क्योंकि जिस तरीके से परिणाम घोषित किए जाएंगे. उससे ये साफ नहीं हो सकता कि कौन सा बच्चा सीट लेने का हकदार पहले था और कौन सा नहीं. इसके अलावा साइंस में प्रैक्टिकल का बहुत महत्व है, लेकिन 12वीं कक्षाओं में सिर्फ इंटरनल एग्जाम हुए हैं. जबकि प्रैक्टिकल नहीं हुए हैं. ऐसे में बच्चा अपने सब्जेक्ट को पूरी तरह समझ ही नहीं सकता.

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परीक्षाएं रद्द होने से उन कंपीटेटिव एग्जाम पर भी इसका असर पड़ेगा जिन्हें बच्चे 12वीं के बाद देते हैं. बच्चे उन परीक्षाओं में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे. सरकार कई तरह के एग्जाम ले रही है एनडीए की परीक्षाएं, आईएस की परीक्षाएं, जुडिशरी की परीक्षाएं, सब चल रही हैं.

सरकार चाहती तो हो सकती थी परीक्षा

ये बात सही है कि बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा सबसे बड़ा है, लेकिन सरकार चाहती तो परीक्षाएं ले सकती थी. जिस समय कोरोना कम था अगर सरकार समय परीक्षाएं करवाना चाहती तो करवा सकती थी. अभी भी केस लगातार कम हो रहे हैं.

सरकार अगर इसके लिए योजना बनाती तो परीक्षाओं का आयोजन करवाया जा सकता था. जैसे अगर सरकार परीक्षाओं को छोटे-छोटे बैचेज में करवाती, 1 दिन में दो या तीन शिफ्ट में परीक्षा ली जाती, और 3 घंटे की परीक्षा को 1 घंटे या डेढ़ घंटे के लिए करती, तो आसानी से परीक्षाओं का आयोजन किया जा सकता था बल्कि इसमें थोड़ी ज्यादा दिन का समय लगता.

ऑनलाइन परीक्षा की व्यवस्था सही नहीं

उन्होंने ऑनलाइन परीक्षाओं का विरोध करते हुए भी कहा कि हम सभी जानते हैं कि बच्चों ने जो ऑनलाइन परीक्षाएं दी हैं वह नकल करके दी हैं और हम खुद अपने बच्चों को चीटिंग करना, चोरी करना सिखा रहे हैं. ये हमारी कैसी शिक्षा व्यवस्था है जहां हम अपने बच्चों को खुद ही गलत रास्ते पर चला रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ऑफलाइन परीक्षाएं ही एकमात्र रास्ता है और उन्हें रद्द करने की बजाय अगर सरकार करवाने पर ध्यान देती तो ऐसे कई रास्ते निकल सकते थे. जिससे बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए भी ऑफलाइन परीक्षाएं करवाई जा सकती थी.

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Last Updated : Jun 2, 2021, 10:12 PM IST

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