चंडीगढ़: हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर बीजेपी से अपना समर्थन वापस लेकर, किसानों के समर्थन में आने का दबाव बढ़ता दिख रहा है. क्योंकि जेजेपी किसान की भलाई का काम करने की बात कहकर सत्ता में आई थी. वहीं अब केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि विधेयकों के बाद हरियाणा के किसान दुष्यंत का मुंह देख रहे हैं.
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधित नए अध्यादेशों में कहीं भी फसलों के एमएसपी को समाप्त करने की बात नहीं कही गई है. किसानों की फसल अनाज मंडियों में बिना किसी रूकावट के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही खरीदी जाएगी और ज्यादा कीमत का अवसर मिलने पर किसान चाहेंगे, तो ओपन मार्केट में भी बेच सकेंगे. जिस दिन अन्नदाताओं को उनकी फसल का एमएसपी देने की व्यवस्था पर कोई आंच आएगी, उसी दिन मैं अपना पद छोड़ दूंगा.
कांग्रेसी सरकार के समय विधेयकों की सिफारिश हुई थी
डिप्टी सीएम ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर भोले-भाले किसानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि नए अध्यादेशों का विरोध करने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री रहते हुए ना केवल ओपन मार्केट की वकालत की थी, बल्कि केंद्र की तात्कालिक मनमोहन सिंह सरकार द्वारा गठित समिति के चेयरमैन के तौर पर इन सिफारिशों पर दस्तख़त भी किए थे.
उन्होंने हुड्डा से सवाल किया कि वे किसानों को बताएं कि उनकी इस दोगली नीति को अपनाने के पीछे क्या मजबूरी है? और कांग्रेस प्रदेश के किसानों को क्यों गुमराह कर रही है. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में भी कांग्रेस पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की वकालत की गई थी, लेकिन राजनीति से विवश कांग्रेसी आज व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं, जबकि ये किसानों के लिए खुशहाली के नए रास्ते खोलने वाला कदम है.
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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार अगले माह से खरीफ फसलों का एक-एक दाना तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा. उन्होंने किसानों की शंकाओं को दूर करते हुए कहा कि बाजरा, धान के अलावा पहली बार मक्के की फसल की भी सरकार एमएसपी पर खरीद करेगी. सरकार द्वारा की गई खरीफ की फसल खरीद का भुगतान एक सप्ताह के भीतर-भीतर किसानों के खाते में कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मेरे लिए किसान के हित सर्वोपरी हैं. किसानों को लेकर उनकी नीयत में ना कभी कोई खोट आया और न कभी आगे आएगा.