चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा 5 राज्यों के चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रिय होगी. इस कड़ी में वो हरियाणा प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों में यात्रा निकालेगी. वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा हर विधानसभा क्षेत्र में जन आक्रोश रैली कर रहे हैं. जिसके दिसंबर महीने तक के कार्यक्रम भी तय हो गए हैं. यानी हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता अपनी-अपनी राह चलते दिखाई दे रहे हैं. जिसको देखकर सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा कांग्रेस आने वाले चुनाव में ऐसे जीत पाएगी?
लोकसभा चुनाव के लिए कुमारी सैलजा का कार्यक्रम: एक तरफ हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष उदय भान और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा दिसंबर महीने में हर विधानसभा में जन आक्रोश रैली के कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. वहीं अब प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा 5 राज्यों के चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर हरियाणा में सक्रिय होगी. इस कड़ी में वो सभी विधानसभा क्षेत्र और प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों में यात्रा निकालेंगी. इस दौरान प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को निमंत्रण भी दिया जाएगा.
सैलजा के कार्यक्रम पर भूपेंद्र हुड्डा की प्रतिक्रिया: कुमारी सैलजा के चुनावी कार्यक्रम पर पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोई बात नहीं, वो कांग्रेस का प्रचार करेंगी. कुमारी सैलजा के कार्यक्रम में निमंत्रण के सवाल पर भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मैं सिर्फ वहां जाता हूं. जहां कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक कार्यक्रम होता है. जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें निमंत्रण दिया जाएगा, तो क्या वो कुमारी सैलजा के कार्यक्रम में जाएंगे. इसपर उन्होंने कहा कि नहीं, मैं किसी व्यक्ति विशेष के कार्यक्रम में नहीं जाता. पार्टी का कार्यक्रम होगा तो जरूर जाएंगे.
कांग्रेस के अलग-अलग कार्यक्रम पर क्या बोले कैप्टन अभिमन्यु? कुमारी सैलजा के कार्यक्रम और कांग्रेस की गुटबाजी पर चुटकी लेते हुए पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि 3 दिसंबर के बाद उनके कई और नेता फ्री हो जाएंगे. वो भी अलग से अपने कार्यक्रम को लेकर निकाल सकते हैं. कांग्रेस ना तो एक संगठन के रूप में सामने है, ना ही एक पार्टी के रूप में. ना उनकी कोई विचारधारा है और ना ही कोई नेतृत्व है. उन्होंने कहा कि जो पार्टी आज तक अपना संगठन ही नहीं बन पाई हो, वो जनता में क्या संदेश देगी. जो संगठन पर एक राय नहीं हो पाए हों, क्या वे जनता में लोकतांत्रिक प्रणाली में जाने के योग्य भी हैं?
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ? कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी और संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्ति ना हो पाने की वजह से सवाल ये है कि क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस गुटबाजी का नुकसान हो सकता है या फायदा? अभी तक संगठन घोषित ना करने के पीछे भी कांग्रेस की कोई रणनीति है? ये ऐसे सवाल हैं जो कांग्रेस को लेकर हरियाणा के सियासी गलियारों में लंबे वक्त से उठ रहे हैं.