चंडीगढ़: हरियाणा सरकार हर समय 'सबका साथ,सबका विकास' का नारा देती है, लेकिन धरातल पर यह नारा झूठा साबित होता दिख रहा है. हर समय दिव्यांगों के भले की बात कहने वाली सरकार प्रदेश के दिव्यांगों को कोई तवज्जो देती नहीं प्रतीत होती है.
इसका उदाहरण है सोनीपत के अनिल, जो कि एक दुर्घटना के कारण पिछले 13 साल से दिव्यांग की जिंदगी व्यतीत करने को मजबूर हैं. सरकार को मदद की कई बार गुहार लगाए जाने पर भी किसी प्रकार की सहायता न मिलने से निराश होकर वो चंडीगढ़ मे पूर्व मुख्यमंत्री व नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निवास स्थान पर मदद के लिए पहुंचे.
सोनीपत से तीन दिन साइकिल चलाते हुए चंडीगढ़ पहुंचा दिव्यांग लॉकडाउन ने छीन ली रोजी-रोटी
दिव्यांग अनिल ने बताया कि लॉक डाउन ने उसकी रोजी-रोटी छीन ली. लॉक डाउन से पहले वो जमीन पर एक कपड़ा बिछाकर सब्जी बेचता था और अपनी तीन बेटियों के साथ-साथ अपना व अपनी पत्नी का पेट पालता था. अनिल ने कहा कि फिर ये महामारी आई और सब कुछ खत्म कर गई.
हादसे में पैर गंवाया पर हिम्मत नहीं
अपनी परेशानी बताते हुए अनिल ने कहा कि 13 साल पहले उसने एक हादसे में अपने दोनों पैर खो दिए थे. उसके बाद मदद के लिए कई दफा सरकारी दफ्तरों व अधिकारियों के पास चक्कर लगाए, लेकिन किसी तरफ से मदद नहीं मिली. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से कृत्रिम पैर लगाए गए. वो भी घटिया क्वालिटी के होने के चलते जल्द ही खराब हो गए. दिव्यांग का कहना है कि वो भीख आदि मांग कर अपना जीवन यापन नहीं करना चाहता. वो मेहनत कर अपने परिवार का लालन पोषण करने में विश्वास रखता है.
मदद के नाम पर मिलता है आश्वासन
अनिल ने बताया कि सरकार की ओर से मदद के नाम पर 2200 रुपये की मामूली पेंशन दी जाती है, लेकिन वो भी किराए के मकान होने के चलते किराए में ही खर्च हो जाता है. अनिल ने कहा कि दिन प्रतिदिन स्थिति खराब होने के चलते कई बार लोकल विधायक सुरेंद्र पंवार से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन वहां से भी मदद की बजाय आश्वासन ही नसीब हुआ.
बता दें कि, अनिल 3 दिन ट्राई साइकिल चलाते हुए सोनीपत से चंडीगढ़ मदद की आस जगाए पहुंच गया और एक आम व्यक्ति द्वारा रेहड़ी खरीदने के लिए छोटी सी मदद मिलने के बाद वापस सोनीपत लौट गया.
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