चंडीगढ़:डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम (gurmeet ram rahim) को आज हरियाणा सरकार की ओर से 21 दिनों फरलो (Ram Rahim Gets Furlough) दी गई है. जिसके पंजाब के चुनावों से संबंधित कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. क्योंकि हरियाणा के सिरसा के साथ पंजाब के कई इलाके लगते हैं. ऐसे में वहां पर डेरा प्रेमियों की संख्या बहुत ज्यादा है. भले ही गुरमीत राम रहीम पिछले साढ़े चार साल से सुनारिया जेल में बंद हो, लेकिन अभी भी डेरा प्रेमियों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है. इधर, जैसे ही डेरा मुखी की फरलों की खबर सामने आई तो तुरंत डेरा मैनेजमेंट की ओर से एक मैसेज जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि कोई भी पटाखे नहीं चलाएगा, ना ही कोई सोशल मीडिया पर इस संबंध में कोई बयान देगा, ना ही भड़काऊ भाषण जारी किया जाएगा. सिर्फ यह कहा गया कि सिमरन किया जाए.
गुरमीत राम रहीम की फरलो और राजनीतिक असर-इधर जैसे ही गुरमीत राम रहीम को फरलो मिली उधर, पंजाब की सियासत में इसके मायने भी तलाशे जाने लगे. दरअसल गुरमीत राम रहीम के पंजाब के मालवा इलाके में बहुत अनुयायी हैं. मालवा वो बेल्ट है जिसमें पंजाब विधानसभा की 69 सीटें आती हैं. ऐसे में अगर गुरमीत राम रहीम किसी एक दल के पक्ष में अपने अनुयायियों को वोट देने का संदेश देते हैं तो इसका सीधा असर 69 सीटों पर पड़ेगा. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह भी मानते हैं कि इस बार पंजाब में पांच कोणीय मुकाबला है. ऐसे में जो भी उम्मीदवार जीतेगा उसका जीत का मार्जन भी कम होगा. ऐसे में अगर गुरमीत राम रहीम अपने समर्थकों को किसी एक दल को वोट करने को कहेंगे तो इसका असर भी दिखेगा. प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि अब देखना दिलचस्प होगा कि गुरमीत राम रहीम क्या करते हैं और क्या वे किसी एक दल को समर्थन देते हैं या नहीं.
डेरा सच्चा सौदा और चुनाव- साल 2017 के चुनावों में गुरमीत राम रहीम के डेरे ने अकाली दल-बीजेपी गठबंधन को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन इसका असर यह हुआ कि अकाली दल से सिख वोट दूर हो गये और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उस वक्त बेअदबी के मामलों को लेकर भी पंजाब की सियासत गरमाई हुई थी. इन मामलों में डेरा कठघरे में खड़ा था. ऐसे में सिख समुदाय ने अकाली दल को दरकिनार कर दिया था. हालांकि 2007 में डेरे ने खुलकर कांग्रेस का साथ दिया था, लेकिन सरकार अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की बनी थी. वहीं हरियाणा में 2014 और 2019 में हुए चुनावों में बीजेपी की जीत में डेरा सच्चा सौदा ने भी अहम भूमिका निभाई थी.
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कई राजनेता पहुंच चुके हैं डेरे के दरबार-चुनाव आते ही पंजाब हो या हरियाणा सभी जगह नेता डेरों के दरबार में पहुंच जाते हैं. जहां तक पंजाब की बात है तो यहां सबसे प्रभावी डेरों में डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग, डेरा नूरमहल, डेरा निरंकारी, डेरा सचखंड बल्लां और डेरा नामधारी है. इन डेरों का समाज के अलग-अलग वर्गों में खासा प्रभाव है. इसी वजह से पंजाब के कई नेता इस बार भी डेरों की शरण में जा चुके हैं, उनमें कांग्रेस के सीएम चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी हो या फिर अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल या फिर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता सभी डेरों पर दस्तक दे चुके हैं. पंजाब बीजेपी के सीनियर लीडर सुरजीत कुमार ज्याणी कई बार कह चुके हैं कि वह डेरे के फॉलोअर हैं. ऐसे में डेरों की अहमियत खुद बयां हो जाती है. वहीं हरियाणा में भी बीजेपी हो या कांग्रेस के नेता सभी डेरा सच्चा सौदा जाते रहे हैं.
गुरमीत राम रहीम की फरलो कौन करेगा कैश?- गुरमीत राम रहीम की फरलो पर आने से हर राजनीतिक दल इसको कैश करना चाहेगा. बीजेपी की सरकार हरियाणा में है. ऐसे में जहां पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं और पहली बार बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ रही है, क्या बीजेपी ऐसे में राम रहीम के डेरे का साथ लेगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो चली है कि डेरा सच्चा सौदा बीजेपी को समर्थन देगा. अगर ऐसा हुआ तो क्या इसका पंजाब के पांच कोणीय मुकाबले में बीजेपी को फायदा होगा या फिर इसका उन्हें नुकसान भी हो सकता है. ऐसे कई सवाल हैं. जिनका जवाब डेरा किसको समर्थन देता है उसकी घोषणा के बाद ही भी मिल पायेगा. हालांकि इस पूरे मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राम रहीम की फरलों को चुनावों के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. उससे इसका कोई संबंध नहीं है. यह हर एक कैदी का अधिकार है. जिसमें 3 साल की सजा काटी हो और यह प्रशासनिक काम है.
जेल में सजा काट रहा है राम रहीम-डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.
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