चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब के सभी डेरों की जांच के मामले में हाई कोर्ट द्वारा चार साल पहले दिए गए आदेशों की सही तरीके से पालना नहीं किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर अवमानना याचिका को जस्टिस निर्मलजीत कौर ने हाई कोर्ट की फुल बेंच के सामने भेजा है.
बुधवार को हाई कोर्ट के आदेशों पर पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों ने अपने जवाब दायर किए. जिसपर हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों के जवाबों से ये साफ है कि हाई कोर्ट ने साल 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जांच के जो आदेश दिए थे उन आदेशों पर दोनों ही राज्यों ने कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में अब बेहतर होगा कि इस अवमानना याचिका पर भी फुल बेंच ही सुनवाई करे, जो पंचकूला में डेरा मुखी को दोषी करार दिए जाने के बाद हुए दंगों, आगजनी और तोड़फोड़ के मामलों की सुनवाई कर रही है.
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इस मामले को लेकर एडवोकेट रवनीत जोशी द्वारा दायर अवमानना याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया था कि संत रामपाल प्रकरण के बाद हाई कोर्ट ने 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जांच किए जाने के आदेश दिए थे. साल 2017 में जब डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम-रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया था तो उसके समर्थकों ने पंचकूला सहित राज्य में कई जगह दंगे कर दिए थे. इसके बाद रवनीत जोशी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि अगर हरियाणा सरकार हाई कोर्ट के आदेशों का पालन कर डेरों की जांच कर लेती तो ये स्थिति पैदा ही नहीं होनी थी.
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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अगर उसी वक्त डेरों की जांच कर ली जाती तो न तो पंजाब में बेअदबी की घटना होती और ना ही पंचकूला में हिंसा तोड़फोड़ और आगजनी होती. आरोप है कि ये सब सरकारी लापरवाही और हाई कोर्ट के आदेशों को लागु नहीं किए जाने के चलते हुई है, क्योंकि पंजाब में बेअदबी के मामले में भी डेरा समर्थकों का नाम सामने आया है और पंचकूला में हुए दंगों में डेरा समर्थकों की साजिश का खुलासा हुआ है. जस्टिस निर्मलजीत कौर ने बुधवार को इस अवमानना का याचिका को चीफ जस्टिस के समक्ष रेफर कर इस पर फुल बेंच में चल रहे मामले के साथ ही सुनवाई किए जाने का आग्रह किया है.