चंडीगढ़:15 अगस्त, 1947 को जब भारत-पाकिस्तान का बंंटवारा (India-Pakistan Partition) हुआ तो बहुत सारी चीजें थीं जो पाकिस्तान में ही छूट गईं. उनमें कुछ भारत के इतिहास से जुड़े खास घटनाओं के कागजात भी थे, जिन्हें हम नए बने भारत देश में ला नहीं सके. ऐसे में अब उन कागजातों को दोबारा पाकिस्तान से भारत लाने की मांग उठ रही है.
चंडीगढ़ के रहने वाले प्रोफेसर चमनलाल दिल्ली में भगत सिंह आर्काइव एंड रिसर्च सेंटर (Bhagat Singh Archive and Research Center) के सलाहकार हैं और इनकी मांग है कि भगत सिंह पर अंग्रेजों ने दो बड़े मुकदमे दर्ज किए थे. एक था दिल्ली सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने का मामला (Bomb Blast in Delhi Central Assembly Case) जिसमें भगत सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. दूसरा मामला लाहौर कॉस्प्रेन्सी का था किस ने उन पर सांडर्स की हत्या (Sanders Murder Case) का आरोप लगा था.
प्रोफेसर चमनलाल का कहना है कि ये कागजात पाकिस्तान के पास हैं जिन्हें भारत लाना बहुत जरूरी है. प्रोफेसर चमनलाल ने इस बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh) को भी चिट्ठी लिखी है. जिस की कॉपी को केंद्र सरकार भी भेजा गया है. इस बारे में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने भी प्रोफेसर चमनलाल से खास बातचीत की.
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प्रोफेसर चमनलाल ने बताया कि पाकिस्तान में भगत सिंह पर दर्ज इन दोनों मुकदमों की जुड़े कई फाइलें पड़ी हैं दस्तावेजों की संख्या काफी ज्यादा है. पाकिस्तान में ना सिर्फ इस मुकदमे से जुड़े दस्तावेज (Bagat Singh Legal Documents) बल्कि भारत की आजादी से जुड़े जरूरी दस्तावेज और भगत सिंह की बहुत सी चिट्टियां भी पड़ी है. जिन्हें भारत लाया जाना बेहद जरूरी है.