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जनता को रोटी जुमले से नहीं रोजगार से मिलती है: दीपेंद्र हुड्डा

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को जगाने के लिए युवा ताली-थाली बजा रहे हैं, लेकिन सरकार जुमलों की चादर ओढ़कर सो रही है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि लोगों को रोटी जुमले से नहीं रोजगार से मिलती है.

deependra hooda
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Published : Sep 6, 2020, 7:15 PM IST

चंडीगढ़ःराज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि देश और प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति भयावह हो गई है. देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हरियाणा के युवा ताली और थाली बजाकर सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार जुमलों की चादर ओढ़ कर गहरी नींद सोई हुई है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि जुमलों से कुछ दिन के लिए जनता को गुमराह तो किया जा सकता है, लेकिन उससे जनता का पेट नहीं भरा जा सकता.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि लोगों को रोटी जुमले से नहीं रोजगार से मिलती है, लेकिन मौजूदा सरकार में सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं खत्म हो रही हैं. राज्यसभा सांसद ने चेताया कि अगर सरकार वक्त रहते नहीं जागती है तो भविष्य में हालात और खराब होने की आशंका है, क्योंकि जिस 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग' का खट्टर सरकार ढिंढोरा पीटती थी, उसमें भी हरियाणा 13 स्थान लुढ़क कर 16वें नंबर पर पहुंच गया है.

'हरियाणा में कोई निवेश करने के लिए तैयार नहीं है'

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ये प्रदेश में एक के बाद एक हो रहे घोटालों, कारोबारियों की अनदेखी, उनसे वसूली, बढ़ते अपराध, असुरक्षित माहौल और जीएसटी की मार का ही नतीजा है. हुड्डा सरकार के दौरान हरियाणा प्रति व्यक्ति निवेश में देश का नंबर वन राज्य था, लेकिन खट्टर सरकार के दौरान हरियाणा में कोई निवेश करने के लिए तैयार नहीं है.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि देश के हालात ऐसे हैं कि भारतीय रेलवे की 1 लाख 40 हजार पदों की भर्तियों लिए 2 करोड़ 42 लाख योग्य युवाओं ने अप्लाई किया है, लेकिन सरकार इस भर्ती को भी पूरा करने का नाम नहीं ले रही. अगर ये भर्ती पूरी भी होती है तो 172 युवाओं में से सिर्फ एक को ही नौकरी मिल पाएगी और 171 बेरोजगार रह जाएंगे.

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दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकारी सेक्टर में नौकरी की चाह रखने वाले युवाओं के साथ प्राइवेट रोजगार पाने वालों का भी यही हाल है. अर्थव्यवस्था की स्थिति देखकर प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों के हालात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है. जिस अर्थव्यवस्था को डबल डिजिट की सकारात्मक रफ्तार से दौड़ना था, आज वो 24% की नकारात्मक रफ्तार से गर्त में चली गई है. हरियाणा के हालात इस मामले में भी बदतर हैं.

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