चंडीगढ़: तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन एक साल तक चला. किसानों को डर था कि तीन कृषि कानूनों की वजह से अनाज मंड़ी बंद हो जाएगी. लिहाजा किसानों ने दिल्ली से लगती सीमाओं पर पक्का मोर्चा लगाकर धरना दिया. जिसके बाद केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया. लेकिन एक बार फिर से मंडियों में फसल खरीद (Mandi will be closed in Haryana) ना होने की खबरें सामने आई है.
दरअसल राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट (Deepender Hooda tweet on mandi) किया है. ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि 'किसान आंदोलन के दौरान सरकार लगातार झूठ बोलती रही कि मंडियां बंद नहीं होगी। लेकिन ये लेटर सरकार की मंडी विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। सरकार ने हरियाणा की आधा दर्जन मंडियों के दरवाजे बंद करके इसबार गेहूं सीधे अडानी गोदाम ले जाने के आदेश दिए हैं। यह मंडियां खत्म करने की शुरुआत है?'
15 मार्च को भारतीय खाद्य निगम कैथल/कुरुक्षेत्र की तरफ से जारी पत्र का हवाला देते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार बिना कानून बनाए ही अपनी मंडी विरोधी नीति आगे बढ़ा रही है. उन्होंने बताया कि एफसीआई की तरफ से जारी पत्र में निर्देश दिए गए हैं कि इस बार किसान अपना गेहूं ढांड, कौल, पिहोवा, पूंडरी, सोलुमाजरा और गुमथला की मंडियों में लाने की बजाए सीधा अडानी के गोदाम में पहुंचाए. लेटर में साफ कहा गया है कि इन मंडियों में किसानों को बारदाना भी उपलब्ध नहीं करवाया जाए. भारतीय खाद्य निगम के आदेश में ये भी कहा गया है कि FCI बारदानों का भुगतान नहीं करेगा.