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मेडिकल फीस बढ़ाकर हरियाणा सरकार छात्रों को दलदल में धकेल रही है- दीपेंद्र हुड्डा - दीपेंद्र हुड्डा मेडिकल कॉलेज फीस

सरकारी मेडिकल फीस बढ़ोतरी को लेकर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 20 गुना फीस बढ़ने से सरकार छात्रों को दलदल में धकेलने का काम कर रही है.

Dipendra hooda statement on haryana medical collage fees hike
Dipendra hooda statement on haryana medical collage fees hike

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Published : Nov 9, 2020, 4:15 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सालाना फीस 53 हजार से बढ़ाकर सीधे 10 लाख रुपये कर दिया है. इस फीस बढ़ोतरी के खिलाफ परिजनों का गुस्सा भी देखने को मिल रहा है. अब राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इस फीस को बढ़ाए जाने का विरोध किया है और सरकार से फीस बढ़ोतरी का फैसला वापस लेने को कहा है.

मेडिकल फीस बढ़ोतरी पर दीपेंद्र हुड्डा का बयान

बता दें कि मेडिकल कॉलेजों में 20 गुना फीस बढ़ाए जाने का कड़ा विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि एक ओर हुड्डा सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में 6 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खुले और कुल सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 7 पहुंची तो वहीं दूसरी ओर मनोहर लाल की सरकार में नया कॉलेज खोलना तो दूर अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सालाना फीस बेतहाशा बढ़ा दी.

'सरकार ने महंगी की शिक्षा'

उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार के समय सस्ती और सुलभ उच्च शिक्षा वाला हरियाणा अब देश में सबसे महंगी शिक्षा में नंबर एक हो गया है. उन्होंने हर साल 10 लाख रुपये के बॉन्ड लिये जाने पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि किसानों को कर्ज के दलदल में फंसाने वाली बीजेपी सरकार अब गरीब और मध्यम वर्ग के मेधावी छात्रों को कर्ज के दलदल में धकेलना चाहती है.

छात्रों को दलदल में धकेलने वाला फैसला बताया

दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग की है कि मेडिकल विद्यार्थियों को कर्ज के दलदल में धकेलने वाला फैसला वापस ले. दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि आज देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर हरियाणा में है, ऐसे में नई नौकरी मिलना तो दूर जिनके पास पहले से नौकरी थी वो भी जा रही है. उन्होंने कहा कि ये सरकार डॉक्टरी की पढाई पूरी करने वालों को सरकार नौकरी की गारंटी दिए बिना उन पर कर्ज का बोझ लाद रही है.

फीस वापस लेने की मांग की

इन्हें नौकरी नहीं मिलेगी, उन्हें बॉन्ड के तौर पर लिये कर्ज का पैसा खुद किस्तों में चुकाना होगा. सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि सरकार के इस युवा विरोधी फैसले के चलते प्रदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए सालाना 10 लाख रुपये का बॉन्ड देना होगा. साढ़े 4 साल के कोर्स के लिए कुल 40 लाख बॉन्ड देना होगा. उन्होंने कहा कि पहले साल के लिए फीस 80 हजार रुपये फीस तय की गई है, जिसमें हर साल 10 फीसदी का बढ़ोतरी होती रहेगी.

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उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के इस फैसले से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी या तो कोई दूसरा रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे या फिर निजी मेडिकल कॉलेजों में जाना उनकी मजबूरी होगी. ऐसे में सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर ताला लगाने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा.

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