हरियाणा में यमराज का लॉकडाउन! श्मशान घाटों पर देह संस्कारों की संख्या हुई कम
कोरोना वायरस के कहर के बीच हरियाणा में मौतों के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है. ऐसा लगता है मानों यमराज ने भी एक तरह से कर्फ्यू घोषित कर दिया. यानी एक तरफ जहां कोरोना वायरस लोगों को अपनी चपेट में लेकर मौत के घाट उतार रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में मौत का आंकड़ा घटकर आधा हो गया है. हरियाणा में पहले जहां 100 मौतें हो रही थी तो वहीं अब ये आंकड़ा गिरकर 50 रह गया है.
थैलियों में रखी अस्थियां
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Published : Apr 8, 2020, 9:25 PM IST
चंडीगढ़ःकोरोना के कहर से पूरी दुनिया सहमी हुई है. एक तरफ जहां हर रोज मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं. लॉकडाउन के चलते लोगों को घरों में कैद कर दिया है. हलांकि हरियाणा के कई जिलों से अच्छी खबर ये है कि लॉकडाउन ने यहां मौत के आंकड़े कम कर दिए हैं. आम दिनों में जहां अंतिम संस्कार के लिए शव ज्यादा आते थे वहीं लॉकडाउन के बाद ये आकंड़ आधे हो गए हैं. हलांकि कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं जो मरने के बाद मोक्ष के इंतजार में हैं. क्योंकि लॉकडाउन के चलते उनके परिजन उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं कर पा रहे हैं. हरियाणा के कई श्मशान घाटों में अस्थियां रखनी की जगह तक कम पड़ गई है.
हरियाणा में यमराज का लॉकडाउन! श्मशान घाट पर देह संस्कारों की संख्या हुई कम
करनाल में आधा हुआ मौत का आंकड़ा!
हरियाणा के करनाल जिले में लॉकडाउन के दौरान होने वाली मौतों का ग्राफ आधा हो गया है. जिले के श्मशान घाटों पर पहले जहां प्रतिदिन औसतन 12 शव पहुंचते थे तो वहीं 22 मार्च के लॉकडाउन के बाद ये संख्या औसतन 6 रह गई है. करनाल के श्मशान घाटों से मिले आंकड़ों के अनुसार शहर के पांच प्रमुख श्मशान घाटों पर 22 मार्च से पहले 16 दिनों में 212 के करीब लोगों के अंतिम संस्कार होते थे, लेकिन 24 मार्च से 6 अप्रैल तक 106 लोगों के ही अंतिम संस्कार हुए हैं.
'करनाल में श्री राम कृष्ण संकीर्तन मंडल (स्वर्गाश्रम) और अर्जुन गेट के वरिष्ठ उपप्रधान श्यामसुंदर ने बताया कि लॉकडाउन से पहले अंतिम संस्कार ज्यादा होते थे. मंडल के आंकड़े इस बात के गवाह हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद शवों की संख्या कम हो गई है. लगता है कि मृत्यु दर में कमी इस वजह से आई है क्योंकी ना तो प्रूदषण है और ना ही एक्सीडेंट है ऐसे में केवल नैचुरल डेथ ही हो रही है.'
लॉकडाउन ने बंद किए मोक्ष के द्वार!
एक ओर जहां करनाल में लॉकडाउन से मौत का आंकड़ा घटा है तो वहीं हरियाणा के सिरसा जिले में इस लॉकडाउन ने मृतकों के लिए मोक्ष के द्वार बंद कर दिए हैं. यहां लॉकडाउन के चलते अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियों को ना तो गंगा में बहा सकते हैं और ही ना यमुना में विसर्जन कर पा रहे हैं. में बहा सकते हैं. सिरसा के कुछ श्मशान घाटों पर तो इन अस्थियों को रखने की जगह ही नहीं बची है. वहीं करनाल में भी 80 से अधिक अस्थियां विसर्जन के इंतजार में हैं.
'सिरसा के शिवपुरी में अंतिम संस्कार करवाने वाले आचार्य भागीरथ का कहना है कि पहले यहां 5 से 7 लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता था लेकिन लॉकडाउन के चलते देह का संस्कार का आंकड़ा गिरकर 1-2 पहुंच गया है. हालांकि लॉकडाउन की वजह से जो अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं उनका विसर्जन नहीं हो पा रहा ऐसे में शिवपुरी श्मशान घाट पर अब अस्थियां रखने की जगह ही नहीं बची है. जिसके चलते अब अस्थियों को थैलियों में डालकर दीवारों पर टांगा जा रहा है.'
चंडीगढ़ में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां खत्म
लॉकडाउन खुलने का इंतजार आमजन को ही नहीं बल्कि इस दुनिया को छोड़ कर स्वर्ग सिधार चुके लोगों की अस्थियों को भी है. लॉकडाउन के चलते लोग अस्थियां विसर्जित करने के लिए हरिद्वार और अन्य धामों पर नहीं जा पा रहे, क्योंकि सीमाएं सील होने के चलते लोगो को वापिस लौटाया जा रहा है.
चंडीगढ़ में मनीमाजरा के श्मशान घाट की स्थिति तो कुछ और ही. यहां अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां नहीं बची हैं. ऐसे में अगर लॉकडाउन आगे बढ़ा तो इनके लिए नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी. चंडीगढ़ के मनीमाजरा स्थित श्मशान घाट के प्रबंधक मदन आचार्य ने बताया कि 'लॉक डाउन की वजह से चंडीगढ़ के श्मशान घाटों में लकड़ियां भी खत्म हो रही है. जिससे आने वाले दिनों में मृतकों के अंतिम संस्कार में समस्या खड़ी हो सकती है. उन्होंने बताया कि पहले एक महीने में 10 से 15 बार लकड़ी की ट्रॉलियां श्मशान घाट आ रही थी, लेकिन अब 2 से 3 बार ही लकड़ियां यहां पहुंच रही है.'
'आचार्य ने बताया कि आने वाले दिनों में गेंहू की कटाई शुरू हो जाएगी, जिसकी वजह से लकड़ी की कटाई और ढुलाई के लिए मजदूर नहीं मिल पाएंगे, क्योंकि ज्यादातर मजदूर गेंहू की कटाई में लग जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रशासन को गेहूं की कटाई से पहले लकड़ी का इंतजाम कर लेना चाहिए, ताकि आने वाले दिनों में लकड़ियों की किल्लत से बचा जा सके.'
हरियाणा के इन जिलों में अस्थियां विसर्जन के इंतजार में हैः
जिला
श्मशान घाट
लॉकडाउन से पहले 15 दिनों का आंकड़
लॉकडाउन से पहले 15 दिनों का आंकड़
लॉकडाउन से बाद का आंकड़ा
हिसार
श्मशान भूमि सुधार समिति
65
सिरसा
शिवपुरी श्मशान घाट
8-9
2-3
130
जींद
बनखंडी महादेव घाट
23-24
21-22
21
रेवाड़ी
मुक्ती धाम शमशान घाट
13-14
7-8
15
अंबाला
राम बाघ श्मशान घाट
22
करनाल
राम कृष्ण संकीर्तन मंडल
85
फरीदाबाद
श्मशान घाट फरीदाबाद
62
गुरुग्राम
सेक्टर 22 श्मशान घाट
150
पानीपत
मानव सेवा श्मशान घाट
80
पंचकूला
स्वर्गभूमि श्मशान घाट
50
'नहीं बची अस्थियां रखने की जगह'
सिरसा के शिवपुरी में अंतिम संस्कार करवाने वाले आचार्य भागीरथ का कहना है कि पहले यहां 5 से 7 लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता था लेकिन लॉकडाउन के चलते देह का संस्कार का आंकड़ा गिरकर 1-2 पहुंच गया है. हालांकि आचार्य भागीरथ ने बताया शिवपुरी श्मशान घाट पर अस्थियां रखने की जगह ही नहीं बची है.
जिसके चलते अब अस्थियों को थैलियों में डालकर दीवारों पर टांगा जा रहा है और लोगों को अस्थियों का टोकन बनाकर दिया जा रहा है ताकि व्यक्ति को उनके परिजनों की सही अस्थी दी जा सके.
मौत की दरों में गिरावट का क्या है कारण?
कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा देशभर में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया हुआ है. करनाल रेंज की आईजी भारतीय अरोड़ा ने बताया कि तब से लोग घरों से भी बाहर नहीं निकल रहे. जिसके चलते ना तो सड़क हादसे हो रहे हैं और ना ही मर्डर्स. इसके अलावा गैंग वार, आपसी झगड़े भी लगभग बंद हो चुके हैं. आलम ये है कि हरियाणा में मौत की दरों का ग्राफ ही गिरकर आधा हो गया है.