चंडीगढ़:आजकल दस रुपये की चीज खरीदनी हो या दस हजार रुपये की, ज्यादातर लोग डिजिटल ट्रांजेक्शंस को पसंद करते हैं. अपने स्मार्ट फोन से एक क्यूआर कोड स्कैन किया, रकम भरी और हो गई पेमेंट. इससे ना एटीएम की दौड़ लगानी पड़ती है और ना ही फुटकर की चिंता करनी होती है, लेकिन पेमेंट करने का ये नया तरीका जितना आसान है, उतना ही रिस्की भी है क्योंकि आजकल साइबर क्रिमिनल ऐसे पेयर्स को शिकार बनाने के लिए घात लगाए बैठे हैं.
डिजिटल पेमेंट का प्रचलन पूरे देश में हो रहा है. ये ऑफलाइन भुगतान से काफी सुविधाजनक है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में बैंकिंग फ्रॉड के मामलों में इजाफा हुआ है. सबसे ज्यादा निशाना डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने वाले लोगों को बनाया जा रहा है.
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पूरे देश में बढ़ रहे हैं ऐसे फ्रॉड के मामले
अभी जो मामला हम आपको बताने जा रहे हैं, साइबर अपराधी इस तरकीब को सबसे ज्यादा अपनाते हैं, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस तरह के हजारों मामले पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में देखने को मिले हैं. ये मामला हरियाणा के यमुनानगर जिले का है. जहां पर कुछ फ्रॉड्स ने एक शख्स से फोन पर बात करते हुए उसके अकाउंट से करीब 88 हजार रुपये गायब कर दिए.
पीड़ित का कहना है कि उसके पास एक शख्स का फोन आया. उसने पीड़ित को ऑफर देने की बात कही. फ्रॉड शख्स ने पीड़ित को झांसे में लेने के लिए पहले पांच रुपये की पेमेंट की. जब पीड़ित ने पेमेंट देखी तो वो और ज्यादा आश्वास्त हो गया, लेकिन अगले ही कुछ मिनट में उसके खाते से 88 हजार रुपये निकल गए.
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सारा फ्रॉड OTP शेयर करने से होता- साइबर एक्सपर्ट
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ऐसे जालसाजों से बचने के लिए और लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए साइबर एक्सपर्ट राजेश राणा से बात की. उन्होंने बताया कि ये सारा खेल ओटीपी कोड के शेयरिंग से शुरू होता है. फ्रॉड करने वाले की पहली कोशिश होती है कि वो अपने टारगेट से किसी भी तरह से बातों में उलझा कर उसका ओटीपी हासिल कर ले, एक बार ओटीपी हाथ लग जाए, तो फ्रॉड पीड़ित का पूरा खाता खाली कर सकता है वो भी कुछ सेकेंड्स में.
इस तरह की ठगी करने के दो तरीके होते हैं
- पहला- ओटीपी हासिल कर सामने वाले के अकाउंट से पैसे निकाल लेना.
- दूसरा- ठग पेमेंट ऐप पर कैश रिक्वेस्ट भेज कर बातों में उलझा कर ट्रांजेक्शन करवा लेता है.