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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बनाई गई कोविशील्ड का चंडीगढ़ PGI में होगा परीक्षण - Covishield Vaccine Testing Chandigarh

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बनाई गई है. इसके लिए चंडीगढ़ पीजीआई में भी परीक्षण किया जाएगा. पीजीआई में दूसरे और तीसरे फेस किया जाएगा. पहला फेस ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पूरा हो चुका है.

chandigarh pgi
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Published : Aug 7, 2020, 7:19 AM IST

Updated : Aug 28, 2020, 2:55 PM IST

चंडीगढ़: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने की कवायद जारी है. कई वैक्सीन परीक्षण के दौर में भी पहुंच चुकी हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से भी कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बनाई गई है. जिसका परीक्षण भारत में किया जाएगा. इसके लिए भारत में 17 संस्थानों को चुना गया है. जिनमें से चंडीगढ़ पीजीआई भी एक है.

चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर जगत राम ने बताया कि ये हमारे लिए गौरव की बात है कि चंडीगढ़ पीजीआई को इस वैक्सीन के परीक्षण के लिए चुना गया है. उन्होंने बताया कि देश भर में करीब 1600 लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा. ये सभी लोग मरीज ना होकर स्वस्थ लोग होंगे. जिन पर ये परीक्षण किया जाएगा.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बनाई गई कोविशील्ड का चंडीगढ़ PGI में होगा परीक्षण

पीजीआई में शुरू होगा परीक्षण का दूसरा और तीसरा फेस

उन्होंने बताया कि इस परीक्षण के माध्यम से ये देखा जाएगा कि इस वैक्सीन की वजह से शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज का निर्माण होता है या नहीं. प्रोफेसर जगत राम ने बताया इस वैक्सीन के परीक्षण का पहला फेस ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पूरा किया जा चुका है. चंडीगढ़ पीजीआई में इसके परीक्षण का दूसरा और तीसरा फेस किया जाएगा. पहले चरण में ये वैक्सीन सफल हो चुकी है, लेकिन इसकी सुरक्षा को पक्का करने के लिए दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण भी किए जाएंगे.

चंडीगढ़ पीजीआई में वैक्सीन परीक्षण टीम का नेतृत्व कर रही डॉ. मधु गुप्ता ने कहा कि वैक्सीन को लेकर सभी तरह की योजनाएं बनाई जा चुकी हैं. इस परीक्षण में पीजीआई के कई विभाग शामिल होंगे. पीजीआई में 250 से 300 वॉलंटियर्स पर ये परीक्षण किया जा सकता है.

ऐसे होगा परीक्षण

उन्होंने बताया कि इस परीक्षण में कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है. जिसकी उम्र 18 साल से ऊपर है और जो पूरी तरह से स्वस्थ है. इस परीक्षा में भाग लेने वाले वॉलंटियर्स को मेडिकल जांच से गुजरना होगा. इसके बाद ही वो परीक्षण के लिए चुने जाएंगे. उन्होंने कहा कि वैक्सीन में वॉलंटियर को वायरस की हल्की सी मात्रा दी जाती है. जिससे उसके शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज आसानी से उस वायरस को खत्म कर सकती है.

इससे उसके शरीर में कोरोना से लड़ने लायक एंटी बॉडीज पैदा हो जाती हैं और व्यक्ति करो ना की चपेट में आने से बच जाता है. डॉ. मधु गुप्ता ने कहा कि वैक्सीन के परीक्षण में करीब 6 महीने का वक्त लगेगा. इन 6 महीनों में ये भी देखा जाएगा कि व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडीज बनने के साथ-साथ इस वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ रहा और उसके बाद इस वैक्सीन से जुड़ी रिपोर्ट को तैयार किया जाएगा.

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Last Updated : Aug 28, 2020, 2:55 PM IST

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