चंडीगढ़: देशभर में कोरोना अपने साथ कई तरह की चुनौतियां लेकर आया है. भले ही लॉकडाउन चार के बाद सरकारों की तरफ से राहत दी गई है. लेकिन कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां कोरोना के चलते अभी भी चुनौती बनी हुई है. इसी में से दांत चिकित्सक हैं. कोरोना के चलते इनको अपने कार्यक्षेत्र में कई बदलावों के साथ काम करना पड़ रहा है.
कोरोना संक्रमण से बचना और मरीजों का इलाज करना दांत चिकित्सक के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. पहले के मुकाबले दंत चिकित्सा में कई बदलाव आए हैं, वो डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से जारी गाइडलाइन्स के अनुसार ही इलाज कर रहे हैं.
कोविड-19 के चलते महंगा हुआ इलाज क्लीनिक पर इमरजेंसी केस में ही मरीजों को अटेंड किया जा रहा है. लॉकडाउन के बाद दन्त चिकित्सा के दाम भी 20 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. हालांकि अतरिक्त दामों के बढ़ने का कारण क्लीनिक पर हो रहा खर्च है. चंडीगढ़ में अपना क्लीनिक चला रही डॉक्टर रश्मि ने बताया कि पहले के मुकाबले कोरोना के कारण पूरी डेंटिस्ट्री चेंज हो गई है. पहले के मुकाबले कई एहतियात बरती जा रही हैं. उन्होंने बताया इलाज से लेकर हर चीज में बदलाव के साथ काम किया जा रहा है.
'बदल गया काम करने का तरीका'
डॉ रश्मि के अनुसार पहले के मुकाबले अब केवल गंभीर उपचार के लिए आने वाले मरीजों को ही अटेंड किया जा रहा है. इसके साथ ही अब मरीजों के साथ आने वाले अटेंडेंट को अंदर आने की अनुमति नहीं है. मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स पीपीई कीट्स, ग्लब्स, एन-95 मास्क, विंड शीट का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि क्लीनिक में दाखिल होने से पहले मरीजों को सैनिटाइज किया जाता है. चप्पल-जूते बाहर उतार कर ही क्लीनिक में आने की इजाजत मिलती है. क्लीनिक में दाखिल होने पर फीवर चेक किया जाता है.
महंगा हुआ इलाज
सीडीई के कन्वीनर और दंत चिकित्सक डॉ अमन भाटिया ने बताया कि जबतक वैकसीन नहीं आती तब तक हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा. इसलिए क्लीनिक में कई तरह के बदलाव किए हैं. दाम बढ़ाने पर उन्होंने कहा कि पीपीई किट पहना और दूसरी चीजों के इस्तेमाल से हमारा खर्च बढ़ा है. जिसकी वजह से दामों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है.
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पहले के मुकाबले अब कम मरीजों का इलाज किया जा रहा है. मरीजों भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें इसकी पूरी व्यवस्था की गई है. सभी कर्मचारी और डॉक्टर्स पीपीई किट पहनकर काम कर रहे हैं. खुद को संक्रमण से बचाना और मरीजों का इलाज करना इनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.