चंडीगढ़:अभी तक ये माना जा रहा था कि जिन लोगों को ब्लड प्रेशर, शुगर, हाइपरटेंशन या दिल की बीमारियां हैं, उन लोगों को कोरोना (coronavirus) से सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. वहीं अब एक नई स्टडी के अनुसार ये बात सामने आई है कि जिन लोगों को फैटी लीवर (Fatty Liver) है, उन्हें भी कोरोना का ज्यादा खतरा है. इस स्टडी को चंडीगढ़ पीजीआई में हेप्टोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अजय दुसेजा ने किया.
उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि ये काफी हैरान करने वाला है कि फैटी लीवर के मरीजों को कोरोना का ज्यादा खतरा है, क्योंकि इस समय हर तीसरा व्यक्ति फैटी लीवर का शिकार है. फैटी लीवर दो तरह के होते हैं. एक अल्कोहलिक फैटी लीवर (alcoholic fatty liver) और दूसरा नोन अल्कोहलिक फैटी लिवर. इस स्टडी में नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर (non-alcoholic fatty liver) से पीड़ित मरीजों को शामिल किया है.
जरूरी खबर: अगर आपको भी है फैटी लीवर तो जल्द लगवा लें कोरोना की वैक्सीन प्रोफेसर ने बताया कि जिन लोगों को फैटी लीवर की बीमारी होती है उनका लीवर ठीक से काम नहीं कर रहा होता. शरीर में कई तरह की रासायनिक क्रिया चल रही होती है और ये स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती. ऐसे में अगर कोई मरीज कोरोना की चपेट में आ जाता है तो ये ज्यादा घातक हो सकता है. क्योंकि उस वक्त लीवर अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहा होता.
'लीवर सिरोसिस और कैंसर होने का बढ़ जाता है खतरा'
अजय दुसेजा ने बताया कि जिन लोगों को फैटी लीवर होता है उनमें से कई ऐसे लोग होते हैं जिनके लीवर में सिर्फ फैट जमा हो जाती है, जबकि कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लीवर में फैट के साथ-साथ स्वेलिंग आ जाती है या कई लोगों का लीवर सिकुड़ जाता है. ऐसे लोगों के लिए ये बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है. अगर ये समस्या बढ़ती है तो व्यक्ति को लीवर सिरोसिस (liver cirrhosis) और लीवर का कैंसर (liver cancer) होने का खतरा भी बढ़ जाता है. लीवर की बीमारी जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी उसके लिए कोरोना उतना ही घातक होता जाएगा.
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अगर उम्र समूह की बात की जाए तो जिन लोगों की उम्र 45 साल से ज्यादा है उन्हें इसका सबसे ज्यादा खतरा है, क्योंकि उनमें फैटी लीवर की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. प्रोफेसर ने बताया युवाओं में फैटी लीवर के केस कम होते हैं. युवाओं को खतरा कम है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो बिल्कुल सुरक्षित हैं.
'फिजिकल एक्टिविटी करें और संतुलित खाना खाएं'
प्रोफेसर दुसेजा ने बताया कि फैटी लीवर सबसे ज्यादा उन लोगों में देखा गया है जिनका आहार और फिजिकल एक्टिविटी असंतुलित है. उन्होंने बताया कि जो लोग जरूरत से ज्यादा खाना खाते हैं और फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते ऐसे लोग सबसे पहले फैटी लीवर का शिकार होते हैं, क्योंकि खाने से जो फैट शरीर को मिलती है वो सबसे पहले स्किन के नीचे जमा होती है और उसके बाद वो लीवर के आसपास जमा होने लगती है. ये भी देखा गया है कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. इस वजह से भी लोगों में मोटापा बढ़ गया है और फैटी लीवर की समस्या भी बढ़ी है.
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प्रोफेसर ने बताया कि पीजीआई में सामान्य दिनों में हर महीने 100 से लेकर 125 मरीज फैटी लीवर के आते थे. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को फैटी लीवर की बीमारी है उन लोगों को कोविड के निर्देशों का गंभीरता से पालन करना चाहिए. इसके अलावा उन लोगों को अपनी फिजिकल एक्टिविटी और खानपान पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें संतुलित आहार लेना चाहिए और नियमित तौर पर एक्सरसाइज करनी चाहिए, ताकि शरीर में जमा फैट कम हो.
फैटी लीवर से पीड़ित वैक्सीन लगवा सकता है?
प्रोफेसर दुसेजा ने बताया कि कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि वो फैटी लीवर से पीड़ित हैं और ऐसे में वो कोरोना की वैक्सीन (corona vaccine) लगवा सकते हैं या नहीं. तो इस सवाल का जवाब है हां. प्रोफेसर ने बताया कि जिनको फैटी लीवर है उनको जल्द वैक्सीन लगवानी चाहिए. उन्हें वैक्सीन की ज्यादा जरूरत है. ताकि वो कोरोना संक्रमण से बचे रहें.