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इन कोरोना वॉरियर्स को नहीं मिली सरकार और प्रशासन की मदद, प्रदर्शन की दी चेतावनी

केंद्र और राज्य सरकारों ने महामारी के चलते स्वास्थ्य विभाग में ड्यूटी करने वाले सभी पैरामेडिकल डॉक्टर्स और नर्स का दुर्घटना बीमा 50 लाख रुपये देने की घोषणा की, लेकिन इस बीमा योजना में आशा वर्कर्स को कुछ नहीं मिला.

Corona Warriors Asha workers
Corona Warriors Asha workers

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Published : Jun 15, 2020, 2:32 PM IST

चंडीगढ़: कोविड-19 के खिलाफ फ्रंट लाइन में खड़ी आशा वर्कर्स अहम भूमिका निभा रही हैं. जब लॉकडाउन में लोग घर के अंदर खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे. तब ये आशा वर्कर्स अपनी ड्यूटी निभा रही थीं. इस महामारी के दौर में भी आशा वर्कर घर-घर जाकर टीकाकरण के काम में व्यस्त हैं. इसके साथ सर्वे का काम भी वो बखूबी निभा रही हैं.

स्वास्थ्य विभाग ने साल 2005 में आशा वर्कर्स की ड्यूटी स्वास्थ्य सेवाओं में लगाई थी. जिस समय सरकार ने ये परियोजना चलाई, उस समय इसका लक्ष्य देश में हो रही मातृ मृत्यु, शिशु मृत्यु और टीकाकरण जैसे गंभीर मसलों को सुलझाना था. आशा वर्कर्स लगाए जाने के बाद ना केवल मातृ मृत्यु, शिशु मृत्यु दर और टीकाकरण की स्थिति में सुधार हुआ है बल्कि आज आशा वर्कर्स स्वास्थ्य विभाग की मजबूत नींव बन चुकी हैं. दुख की बात ये है कि अभी तक सरकार की तरफ से इन्हें कोई राहत नहीं मिली है.

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हैरानी की बात ये है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने महामारी के चलते स्वास्थ्य विभाग में ड्यूटी करने वाले सभी पैरामेडिकल डॉक्टर्स और नर्स का दुर्घटना बीमा 50 लाख रुपये देने की घोषणा की, लेकिन इस बीमा योजना में भी आशा वर्कर्स के हाथ कुछ नहीं लगा. यहां तक की सरकार द्वारा सर्वे के लिए घोषित एक हजार रुपये की राशि भी इन्हें नहीं मिली. इसके बाद भी आशा वर्कर्स दिन रात लोगों की सेवा कर रही हैं.

ड्यूटी के दौरान आशा वर्कर्स के साथ मारपीट, अभद्र व्यवहार की घटनाएं भी सामने आई हैं. लेकिन सरकार और प्रशासन का रुख संतोषजनक नहीं रहा है. आशा वर्कर्स यूनियन वेतन बढ़ाने को लेकर उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुकी है. लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. मजबूरन आशा वर्कर्स ने आंदोलन का रुख अख्तियार किया. सर्व कर्मचारी संघ के पलवल जिला प्रधान ने भी सरकार से मदद की अपील की.

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आशा वर्कर्स का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग उनके ऊपर दबाव बना रहा है कि सर्वेक्षण ऐप के माध्यम से ऑनलाइन रिपोर्ट हमें भेजें. जबकि विभाग ने ऐसा कोई उपकरण आशा वर्करों को दिया ही नहीं है. आशा वर्कर्स ने सफाई और सुरक्षा कर्मियों को पूरे उपकरण देने, समय-समय पर कोरोना टेस्ट करने, 50 लाख रुपये का बीमा करने, मानदेय फिक्स करने और जो कटौती गई है उसे खाते में डालने की अपील की है.

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