चंडीगढ़ कांग्रेस ने केंद्रीय बजट के विरोध में खाली डिब्बे जलाकर जताया रोष. चंडीगढ़:केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चंडीगढ़ में रोष जताया. कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय बजट को खाली डिब्बे की संज्ञा देते हुए इसका विरोध किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि बजट में महंगाई, रोजगार जैसे बड़े मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार नीति स्पष्ट नहीं है. कांग्रेस भवन चंडीगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बजट के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान उन्होंने विरोध स्वरुप बजट के बजट के प्रतीक के रूप में खाली डिब्बे जलाकर अपना विरोध जताया.
चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रधान एचएस लकी ने कहा कि सरकार को भले ही यह अमृत काल बजट लगता होगा, पर यह बजट देश के नौजवानों, किसानों और इस बजट से उम्मीद लगाए लोगों के लिए विषकाल का बजट है. अगले वर्ष आम चुनाव हैं, ऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि चुनाव को देखते हुए, इस साल उनके लिए बजट में कुछ खास रखा जाएगा.
पढ़ें:हरियाणा में MBBS में एक साल पढ़ाया जाएगा आयुर्वेद, सिलेबस के लिए टीम गठित
उन्होंने इस साल के बजट को मोदी सरकार का सबसे बेकार बजट बताया. उन्होंने कहा कि इस बजट से किसी भी आम आदमी को कोई फायदा नहीं होगा. आम आदमी को महंगाई पर लगाम लगाने की उम्मीद थी, बजट में रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाएं और अच्छी स्कीम की उम्मीद थी लेकिन वह इस बजट में पूरी नहीं हो सकी. एचएस लकी ने कहा कि इनकम टैक्स जैसी एक मामूली सी छूट देकर लोगों को रिझाने की कोशिश की गई है.
दूसरी तरफ सरकार जीएसटी जैसे टैक्स में 28 प्रतिशत तक का स्लैब बनाकर लोगों को लूट रही है. इनकम टैक्स देने के लिए सिर्फ 2% लोग ही हैं, जिन्हें 4 से 5 हजार की राहत दी गई है. जिसमें भी बचत की कोई अनुमति नहीं दी है. इसके साथ ही आम व्यक्ति एलआईसी सेविंग, मेडिकल इंश्योरेंस, हाउसिंग लोन जैसी सेविंग नहीं कर सकता है.
पढ़ें:हरियाणा सरकार देगी अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण, 3 माह में तय किया जाएगा कोटा: CM
वहीं, चंडीगढ़ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यूनियन बजट में 25 साल से लेकर 30 साल तक के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया. 2018 में केंद्र सरकार ने रोजगार मुहैया करवाने की बात कही थी, वह नौकरियां आज तक नहीं मिल पाई हैं. उन्होंने कहा कि यूनियन बजट में 33 हजार ऑनलाइन कॉलेज खोलने की बात कही गई है, जबकि 66 प्रतिशत कॉलेज में इंटरनेट की सुविधा ही नहीं है. ऐसे में ऑनलाइन कॉलेज कैसे खोले जा सकते हैं.