चंडीगढ़:एक तरफ हरियाणा में करीब 10 साल से कांग्रेस पार्टी संगठन को खड़ा नहीं कर पाई है. वहीं, आम आदमी पार्टी हरियाणा में तेजी के साथ ग्रामीण स्तर तक अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है. यानी कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों की घोषणा अभी तक नहीं कर पाई, जबकि आम आदमी पार्टी गांव और वार्डों के पदाधिकारियों को शपथ दिलाने में जुट गई है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या AAP इस मामले में कांग्रेस पर भारी पड़ेगी?
वार्ड और ग्रामीण स्तर पर पहुंची AAP: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल दूसरी बार एक बड़े कार्यक्रम के जरिए 29 तारीख को गांव और वार्डों के पदाधिकारी को शपथ दिलाने के लिए हरियाणा आ रहे हैं. इस सूची में करीब 6500 पार्टी के नए पदाधिकारी शामिल हैं. जो इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए पहुंचेंगे. हरियाणा आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष सुशील गुप्ता के मुताबिक पार्टी हरियाणा के गांव और शहर के वार्ड तक पहुंच चुकी है. अभी तक पार्टी के 11 हजार पदाधिकारी नियुक्त किए जा चुके हैं. यानी आम आदमी पार्टी हरियाणा में अपना जमीनी स्तर पर आधार मजबूत करने में जुट गई है.
कांग्रेस को है संगठन का इंतजार:एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी संगठन के निर्माण को लेकर ग्रामीण स्तर तक पहुंच चुकी है. वहीं, हरियाणा कांग्रेस पिछले 10 सालों से संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं कर पाई है. हालांकि हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया संगठन के पदाधिकारियों को लेकर सूची तैयार कर चुके हैं और आला कमान को भी सौंप चुके हैं. लेकिन अभी तक उसे हाईकमान की मंजूरी नहीं मिल पाई है. इसकी घोषणा का अभी भी कांग्रेस नेताओं को इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में कांग्रेस के पदाधिकारियों की घोषणा हो सकती है.
कांग्रेस-AAP की क्या है स्थिति: अगर हम आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की तुलना संगठन की दृष्टि से करें, तो इस मामले में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के सामने कमजोर दिखाई देती है. क्योंकि कांग्रेस हरियाणा में करीब 10 सालों से संगठन के पदाधिकारियों की घोषणा नहीं कर पाई है. आम आदमी पार्टी इस काम में ग्रामीण स्तर तक पहुंच चुकी है.
कांग्रेस का नहीं बन पाया संगठन: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि अगर हम संगठन की दृष्टि से देखें तो इसमें आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिखाई देती है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी का तो करीब पिछले 10 सालों से संगठन नहीं है. बावजूद इसके अभी भी कांग्रेस पार्टी हरियाणा में बीजेपी को टक्कर देने वाली इकलौती पार्टी दिखाई देती है.
बिना संगठन के 2019 का चुनाव जीती थी कांग्रेस: इसके लिए वे साल 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे की बात करते हुए कहते हैं कि 2014 विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के पास संगठन नहीं था. फिर भी उसको मोदी लहर के बावजूद विधानसभा चुनावों में 15 सीटें मिली थी. जबकि 2019 में भी कांग्रेस का संगठन नहीं था. फिर भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी और कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.
'AAP कमजोर पार्टी': गुरमीत सिंह का कहना है कि अगर AAP की बात करें तो वह अभी तक जिन भी चुनाव में हरियाणा में उतरी है, उसमें उसकी परफॉर्मेंस कोई ज्यादा असरदार नहीं रही है. उसका अभी तक ना ही हरियाणा विधानसभा में कोई प्रतिनिधि है और ना ही हरियाणा से लोकसभा में. वहीं ऐलनाबाद उपचुनाव में भी उसके उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई थी.