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CAB के खिलाफ चंडीगढ़ में विरोध-प्रदर्शन, प्रदेश कांग्रेस ने कहा- देश को बांटने वाला बिल

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ चंडीगढ़ में कांग्रेस प्रदेश ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि ये बिल देश को बांटने वाला और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है.

congress protest against CAB in chandigarh
नागरिकता संशोधन बिल

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Published : Dec 11, 2019, 8:02 PM IST

चंडीगढ़:संसद में भारी गतिरोध के बाद मंगलवार को CAB यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पास हो गया, वहीं इस बिल को लेकर राज्यसभा में बहस जारी है. नागरिकता संशोधन बिल का जहां बीजेपी सरकार पास करवाने में लगी है वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस विरोध कर रहे है. इस विरोध की चिंगारी हरियाणा में भी पहुंच गई है. शहर में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस बिल के खिलाफ रोष मार्च निकाला और मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

नागरिकता संशोधन बिल का चंडीगढ़ में विरोध

चंडीगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि केंद्र की सरकार ये बिल लाकर देश में सांप्रदायिकता फैलाना चाहती है. इस बिल के माध्यम से सरकार लोगों को धर्म, जाति और भाषा के नाम पर बांटने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि इस समय देश में महंगाई, बेरोजगारी और गिरती अर्थव्यवस्था सबसे बड़े मुद्दे है, लेकिन इनको सूधारने के लिए सरकार कोई बिल पेश नहीं कर रही है.

CAB का चंडीगढ़ में विरोध-प्रदर्शन, देखें वीडियो

प्रदेश कांग्रेस ने कहा 'देश को बांटने वाला बिल'

प्रदीप छाबड़ा ने सरकार देश को बांटने वाले और देश में धर्म और जाति के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने वाले बिलों को पास कर रही है, जो सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि ये बिल देश के लोगों के साथ विश्वासघात है. कांग्रेस के कार्यकर्ता देशभर में इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.

इस कारण हो रहा है विरोध

आपको बता दें कि कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है. उन्होंने आगे कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. इसलिए यह बिल नहीं लाया जाना चाहिए.

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ये है नागरिकता संशोधन बिल

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा गया है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा. नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा.

यहां है इस बिल का ज्यादा विरोध

इन तीन देशों से आए शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है. आपको बता दें कि इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर में हो रहा है.

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