चंडीगढ़: कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी और भर्तियों में सरकार की नीति तथा नियत को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने खट्टर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए प्रदेश सरकार को लाखों बेरोजगारों का शोषण व उत्पीड़न तत्काल बंद करने को कहा है. सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार की गलत नीतियों ने देश के सबसे प्रगतिशील और खुशहाल प्रदेश को बर्बाद करते हुए बेरोजगारी का हब बना दिया है. हरियाणा जैसा खुशहाल प्रदेश देश में बेरोजगारी दर में नंबर वन बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि सीएम मनोहर लाल की सरकार इस समस्या का समाधान करने की बजाय अपने तुगलकी नीतियों के सहारे इसे और भी जटिल बना रही है. कांग्रेस नेता रणदीप ने आरोप लगाया कि खट्टर सरकार ने पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए पुलिस कांस्टेबल भर्ती का भी मजाक बनाकर रख दिया है, चयनित युवाओं में से आधों को ही ज्वाइन कराया गया है और बाकी अधर झूल में हैं. सुरजेवाला ने कहा कि केवल चयनित युवा ही परेशान नहीं हैं. जो युवा लिस्ट में जगह नहीं बना पाए, वो बेचारे कोर्ट की धूल फांक रहे हैं.
इन सभी युवाओं की परेशानी की जड़ में खट्टर सरकार और इनके कर्मचारी चयन आयोग के कारनामे हैं. पुलिस कांस्टेबल की यह भर्ती 2019 में पहली बार विज्ञापित हुई थी. 2021 में इस भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई लेकिन हर बार की तरह पर्चा लीक कर दिया गया. हरियाणा में पेपर लीक प्रकरण में जांच का ड्रामा किया गया और जांच बिना किसी ठोस कार्रवाई के ठंडे बस्ते में चली गई. 2022 में दोबारा परीक्षा लेकर किसी तरह यह भर्ती पूरी हो सकी. तीन दिन चली भर्ती परीक्षा में किसी शिफ्ट में पेपर आसान तो किसी शिफ्ट में ऐसा दिया गया कि इनके अफसर भी पास ना कर पाएं.
उन्होंने कहा कि उसके बाद कर्मचारी चयन आयोग वाले बोले कि हम नॉर्मलाइजेशन करेंगे. वो नॉर्मलाइजेशन ऐसा किया गया कि ना वो इन्हें समझ आ रहा है और ना ये माननीय न्यायालय को समझा पा रहे हैं. एक ही शिफ्ट में पेपर देकर बराबर अंक लेने वालों के भी नॉर्मलाइजेशन के बाद अलग-अलग नंबर बना दिए गए. इसका नतीजा ये हुआ कि पिछले 9 महीने से ये भर्ती कोर्ट में लटकी हुई है और युवाओं का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. रणदीप ने कहा कि पहले तो खट्टर सरकार पिछली सरकारों द्वारा भर्ती किए गए युवाओं की ही नौकरी खा रही थी, अब तो खुद के लगाए हुए युवाओं को भी हटा रही है.
उन्होंने पूछा कि खट्टर सरकार बताए कि युवाओं की इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है ? इनकी गलत नीतियों का परिणाम सिर्फ इसी भर्ती में युवाओं ने भुगता हो ऐसा नहीं है. पुलिस की पिछली भर्ती में भी अनियमितताओं को लेकर कुछ युवा कोर्ट गए थे. उन युवाओं को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 अंक कम दिए गए थे. ये युवा कोर्ट में अपना अधिकार मांग रहे थे. खट्टर सरकार ने उन चयनित युवाओं को ही हटाने का फरमान सुना दिया जो पिछले साढ़े चार साल से पुलिस महकमे को अपनी सेवाएं दे रहे थे.उन्होंने कहा कि सीईटी की परीक्षा के नाम पर इन्होंने एक अलग ही खिचड़ी पका डाली.