चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी को माइक्रो इरीगेशन एवं कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (मिकाडा) के रूप में पुनर्गठित और पुन: पदनामित करने का निर्णय लिया है, ताकि विशेष रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के साथ-साथ प्रदेश में विभिन्न नहरों पर वॉटरकॉर्स के कार्यों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके.
इस के अलावा कई अहम निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आयोजित कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के पुनर्गठन के संबंध में हुई एक बैठक में लिए गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार का उद्देश्य राज्य में उपलब्ध जल संसाधनों का उचित और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना है.
कम पानी वाले क्षेत्रों को मिलेगी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना
उन्होंने निर्देश दिए कि सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं को लागू करते समय पानी की कमी वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए. इसके अलावा, किसानों को सूक्ष्म सिंचाई के लाभों के बारे में बताया जाए ताकि किसानों को जल संरक्षण के लिए कृषि में सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
बैठक में ये तय किया गया कि मिकाडा कार्यों के खर्चों में सूक्ष्म सिंचाई के 30 प्रतिशत घटक को सुनिश्चित किया जाए और इसमें हर वर्ष 10 प्रतिशत प्रगतिशील वृद्धि भी की जाए. बागवानी विभाग की तर्ज पर कृषि फसलों के लिए किसानों की जमीन पर पानी के टैंक स्थापित करने के लिए एक सब्सिडी योजना तैयार करने पर भी सहमति व्यक्त की गई.
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बैठक में ये भी फैसला लिया गया कि वॉटरकॉर्स के पुनर्निर्माण के कार्य को सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से मिकाडा को हस्तांतरित किया जाएगा और राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को और बढ़ावा देने के लिए मिकाडा 'वॉटरकॉर्स कंस्ट्रक्शन पॉलिसी' तैयार करेगा. इस के इलावा सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं में बिजली की खपत के लिए सहायक कृषि शुल्क लागू होगा और इन परियोजनाओं के सफल और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आपूर्ति संचालित की बजाय मांग संचालित दृष्टिकोण को लागू लिया जाएगा.