चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंचकूला में बनने वाले राज्य पुरातत्व संग्रहालय को पर्यटन अनुकूल बनाये जाने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री बुधवार को चंडीगढ़ में इस सम्बंध में आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे.
60 करोड़ रुपये में बनेगा संग्रहालय
बैठक में बताया गया कि 1.83 एकड़ भूमि पर बनने वाले संग्रहालय के निर्माण में लगभग 60 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी. इंटीरियर डिजाइनिंग और फिनिशिंग का खर्च बाद में तय होगा. सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बनने वाले संग्रहालय भवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि संग्रहालय में आने वाले दर्शकों को पर्याप्त सुविधाएं दिए जाने के प्रबंध होने चाहिए. दर्शकों/पर्यटकों को भवन में अनुकूल माहौल मिले, इसके लिए भवन के बीच में ही ओपन गार्डन की व्यवस्था भी करें, जिसमें विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे हों. इससे न केवल लोगों को स्फूर्ति मिलेगी बल्कि वे मनोयोग से संग्रहालय को देखेंगे.
मिलेंगी कई तरह की सुविधाएं
उन्होंने कहा कि बिल्डिंग में कैफेटेरिया की भी पर्याप्त व्यवस्था हो. चूंकि संग्रहालय को देखने के लिए बच्चे और महिलाएं भी आएंगे इसलिए भवन में क्रेच और बेबी फीडिंग रूम की भी व्यवस्था करें. जिम की व्यवस्था करने के लिए भी मुख्यमंत्री ने कहा.
बैठक में बताया गया कि इस संग्रहालय में न केवल ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध होगी बल्कि यहां आकर शोधार्थी शोध कार्य भी करेंगे. इसके लिए लाइब्रेरी और रिसर्च लैब की व्यवस्था भी भवन में की जाएगी.
ब्रिटिश काल के दस्तावेज भी होंगे उपलब्ध
संग्रहालय में ब्रिटिश काल के दस्तावेज भी उपलब्ध होंगे. भवन में सिंधु घाटी और हड़प्पा संस्कृति के स्वरूप के दर्शन हों, ऐसा प्रयास किया जाएगा. संग्रहालय में ई-लाइब्रेरी भी होगी और भवन में एक स्ट्रांग रूम भी बनाया जाएगा.
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रदेश में स्थित ऐतिहासिक स्मारकों और विरासत की जानकारी से युक्त पुस्तक प्रकाशित करने के निर्देश दिए हैं ताकि हर बच्चे को अपने गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जा सके.
स्कूलों में बनेंगे हैरिटेज कॉर्नर
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक जानकारी बच्चों तक पहुंचाने के लिए हर स्कूल में 'ऐतिहासिक स्मारक कोना' (हैरिटेज कॉर्नर) बनाने का कदम कारगर साबित होगा. इस स्मारक के कोने में जहां राज्य के गौरवशाली इतिहास का विवरण अंकित होगा, वहीं ऐतिहासिक स्मारकों की जानकारी भी होगी. शुरू में 100 स्कूलों में ये कॉर्नर बनाये जाएंगे.
स्कूली सिलेबस में ऐतिहासिक जानकारी को जोड़ने की दिशा में भी विभाग कार्य कर रहा है. जल्द ही स्कूली सिलेबस में इस सम्बंध में चैप्टर जोड़ दिया जाएगा. इस सम्बंध में इतिहास सम्बन्धी शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे विद्यार्थियों को सही जानकारी दे पाएं.
इस बैठक में पुरातत्व एवं संग्रहालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनूप धानक, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, पुरातत्व विभाग के प्रधान सचिव डॉक्टर अशोक खेमका, मुख्यमंत्री की उप प्रधान सचिव आशिमा बराड़, पुरातत्व विभाग की निदेशक मनदीप कौर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.
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