चंडीगढ़:मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपायुक्तों, प्रदेश के पशुपालन विभाग के सभी उप-निदेशकों, गौ-रक्षक समितियों के प्रतिनिधियों तथा गौ सेवकों के साथ बैठक की. इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल और गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज ने भी बैठक में भाग लिया. मुख्यमंत्री ने गौशाला संचालकों से आग्रह किया कि वे बछड़ों को आश्रय प्रदान करने के लिए अलग से नंदी शालाएं बनाएं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सदस्यों वाली इन ब्लॉक स्तरीय समितियों की अध्यक्षता वेटरनरी सर्जन करेंगे और इसके अन्य सदस्यों में गौ-सेवा आयोग के प्रतिनिधि, क्षेत्र की प्रमुख गौशाला के संचालक और जिला उपायुक्त के स्तर पर दो समाजसेवी शामिल होंगे. जिला स्तर पर इन समितियों की निगरानी पशुपालन विभाग के उप-निदेशक करेंगे और उन्हें सदस्यों की संख्या 5 से 6 करने का भी अधिकार होगा.
प्रदेश में गौशालाओं को दी जिम्मेदारी
प्रदेश में लगभग 600 गौशालाएं हैं. मुख्यमंत्री ने गौ-रक्षक समितियों के प्रतिनिधियों और गौ सेवकों से आग्रह किया कि इन गौशालाओं में आवारा पशुओं, विशेषकर गायों और बछड़ों के रहने के लिए सहयोग दें. सरकार स्वयं गौशाला नहीं चलाएगी बल्कि गौशालाओं का संचालन करने वालों को पैसा देगी देगी और अपनी तरफ से हर संभव सहायता करेगी. इसी उद्देश्य से पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया जा रहा है.
गौशालाओं को सरकार देगी अनुदान राशि
सरकार की ओर से सभी गौशालाओं को जो राशि उपयोगी और अनुपयोगी पशुओं के अनुपात के अनुसार दी जाएगी. विधानसभा में पारित प्रस्ताव के अनुसार 33 प्रतिशत से कम अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को कोई सरकारी अनुदान प्रदान नहीं किया जाएगा. 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. 51 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को हर साल 200 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. 76 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को हर साल 300 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. 100 प्रतिशत अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को हर साल 400 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पशुधन सर्वेक्षण समितियों का पहला काम अपने-अपने क्षेत्रों में गौशालाओं, गौशालाओं से बाहर निजी तौर पर अपने-अपने घरों में रखे जाने वाले गौधन, विशेषकर गायों और बछड़ों की संख्या की गणन करना है. गौशालाओं के लिए जमीन खोजना. चारे के लिए गौशालाएं पट्टे पर ग्राम पंचायतों की गौ-चरण भूमि का उपयोग कर सकती है. यदि गौशाला उसी ग्राम पंचायत की है तो 5000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष और दूसरी ग्राम पंचायत की है तो 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से देनी होगी.