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निर्दलीय विधायकों ने बिप्लब देब से मिलकर हरियाणा में बढ़ाया सियासी पारा, जेजेपी से गठबंधन टूटने पर जानिए कितनी सुरक्षित बीजेपी सरकार

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Published : Jun 9, 2023, 6:24 PM IST

Updated : Jun 10, 2023, 2:49 PM IST

शायर ख्वाजा साजिद का एक मशहूर शेर है, कल सियासत में भी मोहब्बत थी, अब मोहब्बत में भी सियासत है. हरियाणा में इस समय कुछ ऐसा ही माहौल चल रहा है. सत्ता की भागीदार बीजेपी और जेजेपी कल तक मजबूत गठबंधन का दावा कर रही थीं लेकिन चुनाव आते ही मोहब्बत की ये दीवार दरकने लगी. जेजेपी के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब के बीच तलवार (Clash in BJP JJP Alliance) खिंच गई है. बड़ा सवाल ये है कि अगर जेजेपी के साथ गठबंधन टूटता है तो बीजेपी अपनी सरकार कैसे बचायेगी. आइये देखते हैं कि हरियाणा में सभी दलों की स्थिति क्या है.

Independent MLA Biplab Deb meeting
Clash in BJP JJP Alliance

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासी फिजा में इस समय तनाव है. शायद इसलिए, क्योंकि अगले साल प्रदेश में चुनाव है. प्रदेश की गठबंधन सत्ताधारी बीजेपी और जेजेपी के बीच चुनाव पास आते ही तलवारें खिंच गई हैं. अंदर की जंग अब जुबान पर आ गई है. जंग भी छोटे-मोटे नेताओं के बीच नहीं बल्कि दोनों पार्टी के दिग्गजों के बीच है. राजनीतिक हल्के में चर्चा है कि दोनों दल अब अपनी अलग राह बनाने में लग गये हैं. इस वक्त सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है. 2019 में 40 विधायकों वाली बीजेपी और 10 विधायकों की पार्टी जेजेपी ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी.

बीजेपी और जेजेपी के बीच चल रही ताजा जंग के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर ये गठबंधन (BJP JJP Alliance) टूटता है तो सरकार कैसे बचेगी. क्योंकि बीजेपी के पास अभी केवल 41 विधायक हैं और बहुमत के लिए कुल 46 का आंकड़ा चाहिए. गठबंधन टूटने की खबरों के दरमियां हरियाणा की सियासत उस समय गर्मा गई जब गुरुवार को अचानक दिल्ली में हरियाणा बीजेपी के प्रभारी बिप्लब देब से मिलने के लिए हरियाणा के 4 निर्दलीय विधायक पहुंचे. इनमें सोमबीर सांगवान, धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद और रणधीर सिंह गोलन शामिल हैं.

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गोपाल कांडा का बीजेपी को समर्थन- चार निर्दलीय विधायकों के अलावा शुक्रवार को हरियाणा लोकहित पार्टी के इकलौते विधायक गोपाल कांडा भी दिल्ली पहुंचे. कांडा ने बिप्लब देब से मिलकर बीजेपी को समर्थन देने का वादा किया. हलांकि गोपाल कांडा 2019 में चुनाव जीतने के बाद से ही बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान करते रहे हैं. लेकिन ताजा मुलाकात नई कहानी का हिस्सा है. भूपेंद्र हुड्डा सरकार में गोपाल कांडा हरियाणा के गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं लेकिन गीतिका शर्मा सुसाइड केस में नाम आने के बाद से वो फिलहाल हाशिये पर हैं.

हरियाणा में दलीय स्थिति.

गोपाल कांडा (Gopal Kanda) समेत निर्दलीय विधायकों का दिल्ली पहुंचना और बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब से मिलने के पीछे सरकार बचाने की कवायद मानी जा रही है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि दोनों पार्टियों के बीच जिस तरह की बयानबाजी चल रही है उससे साफ है कि गठबंधन टूट सकता है. पिछला चुनाव भी जेजेपी और बीजेपी ने एक दूसरे के खिलाफ लड़ा था. जेजेपी के ज्यादातर विधायकों ने बीजेपी के दिग्गद नेताओं को हराया था. बीजेपी अभी जेजेपी के बिना भी मजबूत स्थिति में है. इसलिए निर्दलीय विधायकों का समर्थन दिखाकर बीजेपी अपनी गठबंधन सहयोगी जेजेपी को ये संदेश देना चाहती है कि उसके बिना भी सरकार को कोई खतरा नहीं है.

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बीजेपी सरकार कितनी सुरक्षित- हरियाणा में इस समय दलीय स्थिति और संख्या बल की बात करें तो बीजेपी के पास कुल 41 विधायक हैं. 2019 में चुनाव के समय बीजेपी के 40 विधायक थे. लेकिन हाल में कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उनके बेटे भव्य बिश्नोई अब बीजेपी के टिकट पर विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. बीजेपी के 41 के अलावा उसे 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है. गोपाल कांडा भी बीजेपी के साथ हैं. इस हिसाब से बीजेपी को कुल (41+6+1=48) 48 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसलिए अगर जेजेपी समर्थन वापस लेती है या फिर बीजेपी खुद गठबंधन तोड़ती है तो सरकार को कोई खतरा नहीं है.

बलराज कुंडू को छोड़कर बाकी 6 विधायकों का बीजेपी को समर्थन है.

बीजेपी जेजेपी गठबंधन में टकराव कैसे शुरू हुआ-बीजेपी और जेजेपी के बीच ताजा विवाद उस समय शुरू हुआ जब बीजेपी के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देब ने उचाना विधानसभा सीट से चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता के चुनाव लड़ने का ऐलान किया. बिप्लब देब ने कहा कि उचाना से दीदी प्रेमलता ही विधायक बनेंगी. इस बयान को सीधा दुष्यंत चौटाला को हराने से जोड़कर देखा गया. क्योंकि उचाना से इस समय डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) खुद विधायक हैं. 2019 में दुष्यंत ने बीजेपी उम्मीदवार प्रेमलता को हराया था.

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दुष्यंत का बिप्लब देब पर पलटवार- बिपल्ब देब (Biplab Kumar Deb) के इस बयान पर दुष्यंत ने भी पलटवार किया. उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयेगा तब देखा जायेगा. हर कोई अपनी इच्छा जाहिर कर सकता है. दुष्यंत ने कहा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि उचाना से चुनाव लड़ूंगा. किसी के पेट में अगर दर्द है तो उस दर्द की दवा मैं नहीं बन सकता. दुष्यंत चौटाला के पेट में दर्द के बयान के बाद बवाल और बढ़ गया. दुष्यंत का ये बयान विप्लब देब पर पलटवार माना गया.

बिप्लब देब का दुष्यंत पर हमला- बिप्लब देब ने भी तुरंत दुष्यंत के वार पर पलटवार करते हुए फरीदाबाद में कहा कि ना मेरे पेट में दर्द है और ना ही मैं डॉक्टर हूं. जेजेपी ने समर्थन देकर एहसान नहीं किया है बल्कि बदले में मंत्री पद लिया है. हलांकि गठबंधन टूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सरकार चल रही है भविष्य का कुछ पता नहीं. इन्हीं घमासान के बीच माना जा रहा है कि बीजेपी अब एकला चलो की नीति पर काम कर रही है. इसीलिए निर्दलीय विधायकों का खुलेआम समर्थन दिखाकर जेजेपी को संदेश दिया जा रहा है.

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Last Updated : Jun 10, 2023, 2:49 PM IST

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