चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के वकीलों ने चीफ जस्टिस और प्रशासनिक कमेटी के सदस्यों से मांग की है कि बेहद जरूरी मामलों पर भी सुनवाई की जाए. कहा गया है कि मौजूदा विकट परिस्थितियों में जब पुलिस और दूसरी सिविल ऑथोरिटीज डटकर काम कर रही है तो अदालतों को भी इससे पीछे नहीं हटना चाहिए.
इसके इलावा देखने को मिल रहा है कि कर्फ्यू के दौरान डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल किया जा रहा है. वकील व्हाट्सअप, गूगल डुओ का इस्तेमाल कर रहे हैं. हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से इस मामले को लेकर जहां रेजोल्यूशन पास किया गया.
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में बार एसोसिएशन ने मांग की है कि कोर्ट सिर्फ जरूरी मामलों की सुनवाई करे वहीं, हाई कोर्ट के एक वकील चौहान सतविंदर सिंह सिसोदिया की तरफ से एक याचिका भी दायर कर दी गई है. याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट बेहद जरूरी मामलों में अग्रिम जमानत याचिका के साथ दूसरे अपराधिक मामलों पर भी सुनवाई करे.
याचिका में कहा गया कि बहुत से ऐसे केस हैं, जिनमें निचली अदालतों के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जानी है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में जब हाई कोर्ट बेहद जरूरी मामलों पर सुनवाई कर रहा है तो ये अपील दायर नहीं हो पा रही है. ऐसे में याचिका दायर करने वालों के संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी भी हो रही है.
याचिका में हाई कोर्ट को प्रशासनिक स्तर पर प्रतिवादी बनाया गया है. साथ ही केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन पंजाब हरियाणा सरकार को भी प्रतिवादी बनाया गया है. एसोसिएशन ने मांग की है कि दूसरे नियमित रूप से जरूरी केस भी सुने जाएं. इनकी सुनवाई के लिए जज के समक्ष सुनवाई का आग्रह किया जाए और वही तय करें कि किस बेंच के समक्ष सुनवाई होगी.