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दुनिया के टॉप साइंटिस्ट की लिस्ट में चंडीगढ़ PGI के 10 वैज्ञानिक

पीजीआई चंडीगढ़ ने एक और कीर्तिमान साबित करते हुए विश्वभर में धमक जमाई है. यूएसए की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की व‌र्ल्ड वाइज रैंकिंग में पीजीआई के 10 साइंटिस्ट ने जगह बनाई है.

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चंडीगढ़ PGI के 10 साइंटिस्ट ने बनाई दुनिया के टॉप साइंटिस्ट की लिस्ट में जगह

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Published : Nov 6, 2020, 9:50 AM IST

चंडीगढ़:अमेरिका की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से एक सर्वे किया गया है, जिसमें दुनिया भर के टॉप साइंटिस्ट की एक सूची बनाई गई है. इस सूची में चंडीगढ़ पीजीआई के 10 साइंटिस्ट को शामिल किया गया है. जो न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि देशभर के लिए गर्व की बात है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने इस सूची में शामिल चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर रविंद्र खैवाल से खास बातचीत की.

बता दें कि डॉ. रविंदर खैवाल को दुनिया भर में 176वीं रैंक दी गई है,जबकि भारत में उनकी सातवीं रैंकिंग आई है. डॉ. रविंद्र पर्यावरण को लेकर काम करते हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. रविंदर खैवाल ने बताया कि ये सर्वे अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से कराया गया है. इस सर्वे के लिए यूनिवर्सिटी की टीम ने ये देखा कि किस वैज्ञानिक ने अपने विषय में कितना काम किया है. कितनी रिसर्च की है और उसके रिसर्च पेपर कहां-कहां प्रकाशित किए गए हैं.

दुनिया के टॉप साइंटिस्ट की लिस्ट में चंडीगढ़ PGI के 10 वैज्ञानिक

उन्होंने बताया कि इस सर्वे में कम से कम 100000 साइंटिस्ट को शामिल किया गया है. यूनिवर्सिटी की ओर से भारत की एक अलग सूची बनाई गई है. जिसमें भारत के टॉप 2% वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है, जिसमें उन्हें 7वां रैंक दिया गया है.

डॉक्टर रविंदर ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण को लेकर काफी काम किया है, जिसमें ज्यादातर रिसर्च प्रदूषण के मुद्दों पर रही कि प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है. अलग-अलग तरीकों से फैल रहे प्रदूषण को रोकने के लिए क्या समाधान किए जा सकते हैं. प्रदूषण से लोगों को किस तरह की बीमारियां हो रही हैं और दूषित गैसों से कैसे बचाव किया जा सकता है. उनके इस तरह की कई रिसर्च अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित भी किए गए हैं.

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इसके अलावा उन्होंने कहा इस सर्वे के बाद वैज्ञानिक काफी प्रोत्साहित महसूस कर रहे हैं. अगर भारत में भी इस तरह के सर्वे किए जाएं तो उससे वैज्ञानिकों को और ज्यादा उत्साह मिलेगा, जिससे उनके रिसर्च में भी तेजी आएगी.

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