चंडीगढ़: जब से कोरोना महामारी शुरू हुई है. तब से कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट सामने आ रहे हैं. जैसे डेल्टा वेरिएंट, ओमीक्रोन वेरिएंट और अब नियोकोव वेरिएंट. नियोकोव को लेकर कई रिपोर्ट भी सामने आई हैं. जिसमें इस वेरिएंट को काफी घातक बताया गया है. कई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अगर यह वेरिएंट फैलता है, तो हर तीन में से एक व्यक्ति की मौत हो जाएगी. जिससे लोगों में भी डर का माहौल पैदा हो गया है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई के प्रोफेसर सोनू गोयल से (Chandigarh PGI doctor Sonu Goyal Opinion on Neocov) बात की.
ईटीवी भारत से बातचीत में प्रोफेसर सोनू गोयल ने बताया कि अभी तक कोरोना के कई वेरिएंट सामने आए हैं. जैसे डेल्टा वेरिएंट, ओमीक्रोन वेरिएंट. यह सभी कोरोना वायरस के म्यूटेशंस हैं, लेकिन नियोकोव कोरोना वायरस का म्यूटेशन (corona new variant Neocov) नहीं है. यह एक अलग तरह का वायरस है. इस तरह का वायरस 2012 में देखा गया था, जिसे मर्स (mers) कहा गया था. उस वक्त मर्स वायरस की वजह से काफी लोगों की जानें गई थी और मृत्यु दर ज्यादा थी. इसीलिए लोगों में डर का माहौल है कि कहीं नियोकोव इंसानों के लिए घातक साबित ना हो.
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क्या इंसानों को संक्रमित करता है नियोकोव-डॉ. सोनू गोयल ने कहा कि चीन के वुहान शहर की वायरोलॉजी लैब में यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह वायरस अफ्रीका में चमगादड़ में पाया गया है. लेकिन इस वायरस की चमगादड़ से इंसानों में प्रवेश करने की संभावनाएं बेहद कम हैं. अगर यह वायरस इंसानों में प्रवेश नहीं कर पाएगा, तो इससे संक्रमित होने का खतरा ना के बराबर है. सोनू गोयल ने बताया कि इस वायरस से अभी संक्रमण का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहने की जरूरत जरूर है.