चंडीगढ़: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन का काम तेजी के साथ चलाया गया. जिसका फायदा हमें अब देखने को मिल रहा है, हालांकि तीसरी लहर में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ (Corona Cases In India) रहे हैं, लेकिन मृत्यु दर में काफी कमी देखी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर देश में वैक्सीनेशन का काम ना हुआ होता तो यह मृत्यु दर बढ़ सकती थी और हमें भयंकर परिणाम भुगतने पड़ते. इस दावे को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर सोनू गोयल से खास बातचीत भी की.
ईटीवी भारत के सवाल पर डॉक्टर सोनू गोयल ने कहा कि किसी भी महामारी की पहली लहर के बाद दूसरी और तीसरी लहर भी आती है. कोरोना की तीसरी लहर पर डॉक्टर सोनू (Chandigarh Doctor on Corona Third Wave) ने कहा कि इसको लेकर अलग-अलग भविष्यवाणियां की गई थी. सभी को ऐसा लग रहा था कि तीसरी लहर अक्टूबर या नवंबर 2021 में आ सकती है, लेकिन यह है 2022 की शुरुआत में आई. कोरोना के नए नए वेरिएंट आने की वजह से यह है तेजी के साथ लोगों को संक्रमित कर रहा है. जिससे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि मृत्यु दर इतनी ज्यादा नहीं है जितनी पहली और दूसरी हर में देखने को मिली थी. इसका सबसे बड़ा कारण वैक्सीनेशन होना है.
वैक्सीनेशन के बाद लोग क्यों हो रहे संक्रमित:डॉक्टर सोनू गोयल का कहना है कि लोग ऐसा सोचते हैं कि वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है तो क्या वैक्सीन बेकार हो चुकी है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमण की संभावना कम नहीं होती, लेकिन इससे व्यक्ति की जान खतरे में नहीं होती. लोगों को वैक्सीन लगी है उन्हें गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना बेहद कम है.
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बूस्टर डोज का क्या फायदा है:भारत में बूस्टर डोज (Booster Dose in India) के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ना सिर्फ कोरोना वैक्सीन बल्कि दुनिया में जितनी भी वैक्सीन लगाई जाती है. उन सभी की बूस्टर डोज भी लगाई जाती है, क्योंकि वैक्सीन का असर एक समय के बाद कम होना शुरू हो जाता है. बूस्टर डोज देने की जरूरत पड़ती है, ज्यादातर मामलों में बूस्टर डोज लगने के बाद शरीर में एंटीबॉडी में इंस्टीट्यूशनल मेमोरी बन जाती है.