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पेड पार्किंग के नाम पर धोखाधड़ी का मामला, कंपनी के निदेशक संजय शर्मा गिरफ्तार - Chandigarh Municipal Corporation Paid Parking

चंडीगढ़ नगर निगम ने पेड पार्किंग मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि पेड पार्किंग के नाम धोखाधड़ी करने वाले कंपनी पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय शर्मा को गिरफ्तार किया गया है.

Chandigarh Municipal Corporation
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Published : Mar 12, 2023, 8:08 PM IST

चंडीगढ़:चंडीगढ़ पुलिस ने शहर में 57 पेड पार्किंग लॉट चलाने के लिए कथित रूप से 1.65 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के आरोप में पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय शर्मा को अरेस्ट कर लिया है. इसके साथ ही नगर निगम द्वारा इस मामले में संबंधित नगर निगम अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए एक कमेटी बिठा दी है. वहीं दूसरी और चंडीगढ़ पुलिस की ओर से भी कंपनी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार करने के लिए टीमों ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है. पुलिस ने कहा कि उसका रिमांड सोमवार को खत्म होने वाला है.

पेड पार्किंग को लेकर चंडीगढ़ के मेयर ने एक विशेष प्रेस वार्ता रखी गई. इस प्रेस वार्ता के दौरान चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता ने बताया कि पेड पार्किंग के मामले में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उन्होंने तुरंत इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी. वहीं इस केस को एसपी को भी मार्क करते हुए यहां तक कहा गया था कि अगर इस फर्जीवाड़ा में नगर निगम के भी कुछ अधिकारी शामिल हैं तो उनको भी बख्शा नहीं जाएगा. जिसको लेकर चंडीगढ़ पुलिस ने फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी और उसके मालिक को गिरफ्तार किया है.

वहीं इस मौके एसपी ईओडब्ल्यू के इंचार्ज केतन बंसल ने बताया 18 फरवरी को सेक्टर-17 के थाने में नगर निगम द्वारा एफआईआर 420 सेक्शन के तहत दर्ज की गई थी जोकि एसपीआरडब्ल्यू को मार्क हो गई थी. ऐसे में 6 मार्च को उनके पास एफआईआर की रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसके बाद रेड करने वाली टीमों को भेज दिया गया. वहीं इस दौरान एक व्यक्ति जिसके अधीन यह कॉन्ट्रैक्ट किया गया था। उस कंपनी के मालिक संजय शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया हैं। इस समय वे पुलिस कस्टडी में है. वहीं जांच के दौरान अनिल शर्मा का भी नाम आया है, जिसके लिए पुलिस पड़ताल जारी है.

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उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम उसे जल्दी ही गिरफ्तार कर पाएंगे. वहीं चंडीगढ़ टीम के द्वारा हर एंगल से इस मामले की जांच की जाएगी. जैसे ही इस मामले में कोई अहम जानकारी हमें मिलती है वह साझा की जाएगी. केतन बंसल ने बताया कि हम अभी और जानकारी का खुलासा नहीं कर सकते हैं क्योंकि मामले में और आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना है. चंडीगढ़ पुलिस अब एजेंसी के ठेकेदार अनिल कुमार शर्मा का पता लगाने की कोशिश कर रही है. दोनों आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं. कंपनी को जनवरी 2020 में तीन साल की अवधि के लिए शहर में 57 पार्किंग स्थल का संचालन और प्रबंधन आवंटित किया गया.

अनुबंध की शर्तों के अनुसार, कंपनी द्वारा सिंडिकेट बैंक की तीन बैंक गारंटी के रूप में 1.65 करोड़ रुपये जमा किए गए थे. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि लगभग 7 करोड़ रुपये के लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने में विफल रहने के कारण, एमसी ने बैंक गारंटी को नकद करने का दावा किया, लेकिन बैंक ने दावा किया कि उसकी शाखा द्वारा ऐसी कोई गारंटी जारी नहीं की गई थी. शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कंपनी के खिलाफ सेक्टर-17 थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. केतन बंसल ने बताया कि पुलिस द्वारा बैंक के हर ट्रांजेक्शन पर और जिस-जिस अधिकारी का संबंध उस ट्रांजेक्शन से है उस पर नजर रखी जा रही है.

चेतन बंसल ने बताया कि 7 मार्च को ही हमने संजय वर्मा को गिरफ्तार किया. उन्होंने बताया कि अभी मुजरिम पुलिस रिमांड में है. संजय वर्मा की रिमांड सोमवार को खत्म हो रही है. संजय शर्मा सन ऑफ सुभाष शर्मा रेजिडेंस ऑफ कल्याणी बिहार दिल्ली यह उस पाश्चात्य कंपनी का डायरेक्टर है. उन्होंने बताया कि संजय शर्मा एक एडवरटाइजिंग कंपनी चलाता है. उसके द्वारा दिल्ली में रहते हुए भी कई सरकारी टेंडर के लिए गए हैं. इसी दौरान उसे चंडीगढ़ का भी पेड पार्किंग का टेंडर 2020 में मिला था. वहीं संजय शर्मा से पूछताछ के दौरान पता चला है कि अनिल कुमार शर्मा इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे है.

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वहीं नगर निगम के कमिश्नर आनंदिता मित्रा ने बताया पेड पार्किंग के अंडर आती कंपनी द्वारा कर्मचारियों को रेगुलर इनकम न देने और नगर निगम को रेवेन्यू ना पहुंचाने के चलते शिकायत दर्ज की जा रही थी, जिसकी वजह से नगर निगम द्वारा कंपनी को बार-बार टर्मिनेट करने का नोटिस भी जारी किया गया था. इस दौरान कंपनी के मालिकों द्वारा नगर निगम के ऊपर केस भी किया गया. इसी दौरान जनरल हाउस ने यह निर्णय लिया कि वह इस टेंडर को रद् किया जाए.

ऐसे में कंपनी को निष्कासित करने के लिए हमारे पास एक ही उपाय होता है कि हम उसकी बैंक गारंटी को कैश में बदल लें. इस दौरान कंपनी का परफॉर्मेंस बैंक गारंटी एकाउंटिंग दिल्ली की कंपनी के नाम पर जारी था. जैसे ही हाउस द्वारा इस कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने के बाद फैसला किया गया. उसे अगले दिन ही हमने इस बैंक गारंटी को कैश में करने का फैसला लिया. जैसे ही हमारे अधिकारी बैंक में गारंटी से संबंधित कागजात को जमा करवाने गए. बैंक द्वारा कंपनी के सभी कागजों को फर्जी बताया गया, जिसके बाद नगर निगम द्वारा एफआईआर दर्ज करवा दी गई. वहीं इस मामले में शामिल नगर निगम के अधिकारियों पर जांच करवाने के लिए कमेटी भी बिठा दी गई है.

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